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________________ (१२१) पदार्थो का निर्माण करता है, वैसे ही ईश्वर ने ससार रूप घड़े को किस माटी से तैयार किया है ? और वह माटी कहा से आई तथा उसे किस ने बनाया? ३-ससार का निर्माता ईश्वर है, ईश्वर सर्वज्ञ और सर्वदर्शी है, घट-घट का अन्तर्यामी है, इस तरह जब ईश्वर सर्वथा परिपूर्ण है, उस में किसी प्रकार की न्यूनता नही है, तो ईश्वर के बनाए हुए प्राणियो मे भेद-भाव क्यों.? सभी प्राणी एक जैसे होने चाहिए थे ? पर देखा जाता है कि जगत मे सभी प्राणी एक जैसे नहीं है, उन मे अनेकता है। कोई ला है तो कोई लगडा, कोई अन्धा है तो आखो वाला, कोई निर्धन है . तो कोई धनी, कोई प्रतिभाशाली है तो कोई मूर्ख, कोई राजा है तो कोई रक, कोई दाता है तो कोई भिखारी, कोई ठाकुर है तो कोई पुजारी, कोई पुरुष है तो कोई हीजडा, कोई चोर है तो कोई गाठ-कतरा, कोई जुमारी है तो कोई व्यभिचारी, कोई देशद्रोही है तो कोई धर्मद्रोही। जगत के प्राणियो मे इस प्रकार का अन्य भी द्वैविध्य पाया जाता है। सर्वज्ञ और सर्वदर्शी भगवान की रचना मे यह अन्तर क्यो ? कोई अच्छा और कोई बुरा यह पक्षपात क्यो ? यदि ईश्वर जगत का निर्माता . है तो उस की सृष्टि मे यह विविधता क्यो ? ४-ईश्वर पूर्णतया स्वतन्त्र है, वह किसी के अधीन नही है, सर्वथा स्वाधीन है। अपनी ही इच्छानुसार जगत का निर्माण करता है तो उस ने ससार गे दुख की रचना क्यो की ? ईश्वर. ने सारे ससार को एकदम सुखमय क्यो नही बना डाला है ? दुख की रचना करके उस ने प्राणिजगत को क्यो याकुलव्याकुल वना दिया है ? यदि कहा जाए कि दुख पापो का
SR No.010169
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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