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________________ अपनी बात · आज से एक वर्ष पूर्व मैंने भगवान महावीर की वाणी के रूप में एक लघु संग्रह किया था। विविध सूत्रों में से इन गाथा--रत्नों का चयन किया गया है। इसमें अर्थ भी साथ दिया है। पाठक भली भान्ति गाथा के अन्तरंग में उतर कर इसमें आत्म-मज्जन कर आनन्द की अनुभूति कर सकता है । ज्ञानी के लिए तो कहीं भी क्लिष्टता व नीरसता नहीं हैं । संसार में ज्ञानी और विद्वान प्रायः कम ही होते हैं। जो हैं उनको किसी भी प्रेरणा व उद्बोधन की अपेक्षा नहीं रहती। बल्कि वे तो स्वयं संसार के लिए प्रेरक तथा उद्बोधक वनकर रहते हैं । आवश्यकता तो संसार के उन अन्धेरे मनों में दीपक __जलाने की है जो सत्य से अभी बहुत दूर हैं । ठोकरें खाने वाले इस धरती पर असंख्य लोग हैं । उन्हें राह पर लाना इस जीवन का सबसे बड़ा सुकृत है। "भगवान महावीर के मनोहर उपदेश" यह पुस्तक मैंने इसी उद्देश्य से लिखी थी,. कि जिन आँखों ने भगवान महावीर के सूत्र कभी नहीं पढ़े-वे पढ़ें जिन कानों ने ये उपदेश कभी नहीं सुने वे कान भी सुनें । भारत में जैन धर्म का प्रचार प्रायः सब जगह है किन्तु बंगाल, उड़ीसा और आन्ध्र में अपेक्षाकृत कम है केवल राजस्थानी और गुजराती भाईयों के इधर आकर वसने से जनत्व
SR No.010167
Book TitleBhagavana Mahavira ke Manohar Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharmuni
PublisherLilam Pranlal Sanghvi Charitable Trust
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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