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________________ १३१ १. फ्रोधी नर, अभिमानो के. न वचन ययार्य होते हैं । इन पर जो विश्वास करे, वे आंखें भर - मर रोते हैं । २. फपटी नर और लोभी के, न निकट सत्य भी माता है । जो नर इन पर विश्वास करे, यह जीवन भर दुःप पाता है ।। ३. जहां राग द्वेष फा शासन हो, यहां सत्य फभी न बात करे । ऐसे लोगों के वचनों पर, न सुन पानी विश्वास करे ।। ४. जो वचन हास्य में यह जाये, या मय फा जिस में पास रहे । इन चचल दुल वचनों में, न फमो सत्य - नुवास रहे ।। ५. जो पचन पल्पना से निकले, हो जिसमें हिंसा माद मरा । ऐसे पचनों को मागम ने. नहीं रभो भी सत्य रहा ।। १. जो हितमय हो, मंगलमय हो. यही पचन हैमन्य सदा । * भादौर में रह सुदान, दिर गिर गौतन से कहा !!
SR No.010167
Book TitleBhagavana Mahavira ke Manohar Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharmuni
PublisherLilam Pranlal Sanghvi Charitable Trust
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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