SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 316
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३ * श्री गणेश मुनि जी जैन समाज के चिन्तनशील कवि और विद्वान गवेषक सन्त हैं। 'अहिंसा की बोलती मीनारे', 'इन्द्रभूति गौतम एक अनुशीलन' आदि कृतियो मे उनका गवेपक पण्डित रूप प्रकट हुआ है । प्रस्तुत कृति 'सुबह के भूले' में उनका सरस कवि-रूप उभर कर सामने आया है । सकलन की सभी कवितायें कथा की अलगनी पर टिकी हुई हैं । उनमे वर्णनो की चित्रोपम छटा और भावो की रगीली मर्मस्पर्शिता है । कथा-प्रेमियो और कविता प्रेमियो के लिए यह कृति परितोषकारी है । मैं इस सुन्दर कविता-सकलन के लिए मुनि श्रीजी का सादर अभिनन्दन करता हूँ । - प्राध्यापक - हिन्दी विभाग राजस्थान विश्वविद्यालय * श्री गणेश मुनि जी शास्त्री जैन-जगत के एक उदीयमान सुयोग्य लेखक व सरस कवि हैं । जीवन के अमृतकण . डॉ० नरेन्द्र भानावत "आधुनिक विज्ञान और अहिंसा", "अहिंसा की बोलती मीनारे" व "इन्द्रभूति गौतम एक अनुशीलन" आदि कलाकृतियाँ मुनिजी की अतीव प्रशसनीय रही हैं । प्रस्तुत रचना भी मुनिजी की एक सुन्दरतम कलाकृति है । अन्य रचनाओ की तरह मुनिजी की यह रचना भी अतीव आदर पायेगी ऐसा मेरा विश्वास है । इस रचना के लिए मेरा शतश अभिनन्दन है मुनिजी को । * "जीवन के अमृत कण" मानव मे हटाकर शान्ति प्रदान करने वाली एक - मधुकर मुनि -लेखक गणेश मुनि शास्त्री, साहित्यरत्न - सम्पादक श्रीचन्द सुराना, 'सरस' ---प्रकाशक उदयपुर अमर जैन साहित्य सस्थान, - मूल्य दो रुपये पचास पैसे " " जीवन के अमृत कण" पुस्तक को पढकर मन आनन्दविभोर हो उठा, सचमुच एक-एक अमृत कण के रसास्वादन से जीवन में अपूर्व जागृति, चेतना ओर प्रेरणा की बाढ आ रही है । - महासती उज्ज्वलकुमारी रही हुई, अन्तरग अशान्ति को दूर सुन्दर कृति है । इस अमृत कणो के
SR No.010166
Book TitleBhagavana Mahavira ke Hajar Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni
PublisherAmar Jain Sahitya Sansthan
Publication Year1973
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy