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________________ भमिका | प्राचीन भारतका इतिहास प्रायः बिल्कुल अन्धकारमें है । प्राचीन भारतीय साहित्य में कोई भी ऐसा ग्रन्थ नहीं है जो प्राचीन भारतके नियमित और व्यवस्थित दर्शन आज हमको करा सके । ऐसी दशामें यह संभव नहीं है कि उस प्राचीनकालमें हुये किन्हीं महापुरुषोंका एक यथार्थ चरित्र ग्रंथ लिखा जा सके किन्तु इस कठिनाईके होते हुये भी प्रस्तुत पुस्तकमें भगवान महावीर और म० गौतमबुद्धके पारस्परिक जीवन - सम्बन्धोंको प्रकट करनेका जो साहस किया गया है, उसमें मूल कारण हृदयकी भक्ति तो है ही, पर हमारे पूज्य पूर्वजोंके साहित्यक ग्रन्थ, शिलालेख और मुद्रालेख इसमें पूर्ण प्रेरक और सहायक है। सचमुच इसी प्राचीन भारतीय साहित्यके अस्तव्यस्त ऐतिहासिक सामग्री के बलपर इस पुस्तकको लिखनेका प्रयास किया गया है परन्तु हमारे लिये यह कहना असंभव है कि वस्तुतः हम अपने इम प्रयासमें किस हदतक सफलमनोरथ हुये है । म० गौतमबुद्धका नाम आज ससारके समस्त धर्माचायोंमें चहुप्रख्यात है । दुनियांमें सबसे अधिक संख्या में मनुष्य उन्हींके अनुयायी है किन्तु इतना होते हुये भी भगवान महावीर एक अनुपम तीर्थंकर थे, वे सर्वज्ञ और सर्वदर्शी थे; यह बात स्वयं चौद्धग्रन्थो से प्रमाणित है, अतएव एक अनुपम तीर्थंकरका और साथ ही एक युगप्रधान महात्माका पूर्ण चरित्र प्रकट करनेका
SR No.010165
Book TitleBhagavana Mahavira aur Mahatma Buddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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