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________________ HNA IFE काममा सार्क Toil HEMला अनि बिमा यासक एक बड़ी संख्या में हुए १ जिन्होंने अहिंसा धर्म के निजयु गीत जगत को मनाया जा कोप मिया का E TRITI is FIES सुगलियधु सोंग्रीता पालवेको बाली सम, मा र प्रमा का ऐसी दया की चित्त, तिहूँ लोक म्याणी हित, जागा माह FT PATE - मगर REAKER F].1 कमर और कस्तुत कालखस न लाख्यः।। लाख्या Frip #TFI F], Fri , i i ___जोक ME PM का ! TEौद ग्रन्या महालात विनय पिटको में लिखी हSBEE xvIT11)कि सीह सिंहावामान्य विवि सेनापविशतिगंडा नाठपुत्त के शिष्य । संथागार में समण गौतम की प्रशंसा सुन कर र वई उनको बनाए भोजन को निमन्त्रण दे प्राया क्योंकि वह बा पर सौह ने बाजार से मास मंगवाया और बौद्ध भिक्षुओं को खिलाया। इस पर नैनियों ने प्रवाद उठाया। 'महावग्ग में लिखा है कि एक बड़ी संख्या में वे (निनन्य मशाली में सड़क और चरह शपर यह शोर मचात दौड़ते फिर किया सेनापति सहि ने एक ब्रेल का व किया है और सका ग्राहोर समेण गौतम कजिये बनाया है। समण गौतम जानबूझ कर कि यह वेज मरे आहार देत मारा गया है, पशु का मांस खाता है, इसलिए वही उस पशु के मारने के लिये बघा.! है। हम अपने जीवन के लिये भी भी जाना कर प्राणी बध नहीं उस्नेतसे स्पष्ट कि"साह पहले जैन और चोट सन्मतिमिद मालाको प्रश्ण करने में संकोच नहीं करता था। 1556
SR No.010164
Book TitleBhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Parishad Publishing House Delhi
PublisherJain Parishad Publishing House Delhi
Publication Year1951
Total Pages375
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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