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________________ ( छ ) पना नहीं की, प्रत्यत उन्होंने अपने समय की प्रत्येक समस्या का हल उपस्थित किया था। उन्होंने धर्मक्षेत्र में जो हिंसा 'यज्ञों' के नामले हो रही थी, उसका अन्त ही नहीं किया, बल्कि अहिंसा के प्रचार द्वारा लोक में विश्व वन्धुत्व की भावना जागृत कर दी थी। लोक ने पशुओं का भी आदर करना जाना था । आज का लोक तो केवल अपने मनोरंजन के लिये पशुओं को शिक्षा देकर उनसे अद्भुत करतव सरकसमे करवाता और खुश होता है, परन्तु उस समय का मानव मानवता से अोतप्रोत था, इसलिये वह पशुत्रों को भी ऐसी शिक्षा देता था, जिससे वह साम्यभाव को अपना कर संयमी जीवन विताते और सुखी होते थे। आज के यग को अहिंसा की इस अपूर्व शक्ति का पाठ पढ़ना है। अहिंसा की व्यवहारिकता महावीर जीवन से पढ-पद पर टपकती है। आज मानव-मानव में रंगभेद और राष्ट्रभेद कटुता और वैषम्य का कारण बन रहा है-आये दिन युद्ध होते हैजातियों में संघर्ष चलता है । भ० महावीर के सम्मुख भी आर्यअनार्य की समस्या उपस्थित थी-लोग अनार्यों को और गरीब आर्यों को भी क्रीतदास बना लेते थे-उनका सामाजिक तिरस्कार होता था । भ० महावीर ने इन समस्याओं का हल उदाहरण बनकर उपस्थित किया था । दासप्रथा का अन्त हुआअनार्यों के प्रति घणा का नाश हुआ-स्त्रियों और शूद्रों में भी स्वात्माभिमान जागृत हुआ-समाज में उनको सम्माननीय स्थान मिला। शासनाधिकार अहिंसा से अनुप्राणित हुआ। प्रत्येक को अभयदान मिला। राष्ट्रीय चारित्र का मापदण्ड महान और उन्नत बना । यूनानी लेखकों ने भारतीयों के ज्ञान और चारित्र की भूरि भरि प्रशंसा लिखी । भ० महावीर के पहले जनता भोग वासना में विवेक को खोये हुये-ऐश्वर्य के मद में पथभृष्ट हो रही थी। ईश्वर और पुरोहित को पूज कर वे
SR No.010164
Book TitleBhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Parishad Publishing House Delhi
PublisherJain Parishad Publishing House Delhi
Publication Year1951
Total Pages375
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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