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________________ १५ तीर्थंकर महावीर के विभिन्न पहलू । सत्य के एक पक्ष पर बहुत अधिक बल देना हाथी को छूने वाले अंधों के अपनी-अपनी बात का आग्रह करने के समान है । विवेक दृष्टि पनायें : वैयक्तिक स्वातंत्र्य और सामाजिक न्याय दोनों मानव कल्याण के लिए परमावश्यक हैं । हम एक के महत्त्व को बढ़ा-चढ़ा कर कहें या दूसरे को घटाकर कहें, यह संभव है। किंतु जो आदमी अनेकांतवाद, सप्तभंगिनय या स्याद्वाद के जैन विचार को मानता है. वह इस प्रकार के सांस्कृतिक कठमुल्लापन को नहीं मानता। वह अपने और विरोधी के मतों में क्या सही है और क्या गलत है, इसका विवेक करने और उनमें उच्चतर समन्वय साधने के लिए सदा तत्पर रहता है । यही दृष्टि हमें अपनानी चाहिये । इस तरह, संयम को श्रावश्यकता, श्रहिंसा और दूसरे के दृष्टिकोण एवं विचार के प्रति सहिष्णुता और समझ का भाव - ये उन शिक्षायों में से कुछ हैं, जो महावीर के जीवन से हम ले सकते हैं। यदि इन चीजों को हम स्मरण रखें और हृदय में धारण करें, तो हम महावीर के प्रति अपने महान् ऋरण का छोटा सा अंश चुका रहे होंगे । 080
SR No.010162
Book TitleBhagavana Mahavir Adhunik Sandarbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Bhanavat
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year
Total Pages375
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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