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________________ ( ४५ } सिर हिलते-हिलते रक गये । वातावरण रो उठा । सव श्राचयं के रंग में रंगे हुये देखते के देखते ही रह गये । 'कहा गई ग्रप्सरा " "चाय क्यों एक गये ?" " नृत्य क्यो रक गया ?" "धुलाग्र बुलाओ प्रप्सरा को बुलाओ ।" "उसका नृत्य और होने दो।" · "हम उसका नृत्य और देखेगे ।" सभा मप पोरगुल से गुज उठा। भगवान आदिनाथ ने भी पूछा, "कहाँ गई नृत्यिका ? तभी एक भव्य पुरष पाया। उसके पाते ही ना मे पुन, शान्ति छा गई । म उम भव्य पुरष की प्र यहा धन्य पुरुष भगवान श्रादिश के महामहो गया। भगवान ग्रादि नाथ ने पुन पुरा "यहाँ गई वह ि भय में *"
SR No.010160
Book TitleBhagavana Adinath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasant Jain Shastri
PublisherAnil Pocket Books
Publication Year
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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