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________________ तीसरा भाग। १५. २-भगवान्के जन्म समय क्या होता है और इन्द्र न्या __३-उन्म हुए पोट भगवान को कौन बाहर नता है क्सि प्रकार ? ४-भगवानको मेरुपर्वत पर ले जाकर क्या करते हैं। '-उन सम्बन्ध या जानते हो- अववियन, राज, जोजन, मनतकुमार. पाक बन 3 शिला, सीमा सुपति. धनपति. सुमेरुपर्वत । ६-आदिसे लेकर कमर पचीस विराजही तक और बदन रदर अवगाह' से लेकर अन्त तक पहो । ७-इन मंगलों के बनानेवाले कौन हैं। वे मुनि थे या श्रावक ? __ क्या किसी स्थान पर उन्होंने अपना नाम प्रक्ट किया है। चोथा पाठ। अजोयके भेद। अजीव प्रांच प्रकारके होते है:१-पुल, २-धर्म, ३-अधर्म ४-आकाश, ५-काल । १-पुद्गल, उसे कहते है, जिसमें स्पर्श, रस, गन्ध ओर वर्ण पाये जावें । पुद्गलके कई भेद हैं । स्थूल ( मोटा) पुद्गल तो आंखोसे देखनेमें आता है, परन्तु सूक्ष्म (बारीक) __पुद्गल नहीं दिखाई देता । युद्गलके सबसे छोटे टुकड़ेको परमाणु १-स्पर्श, रस, गन्ध, वर्णका पाठ आगे दिया गया है।
SR No.010158
Book TitleBalbodh Jain Dharm Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachand Goyaliya
PublisherDaya Sudhakar Karyalaya
Publication Year
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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