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________________ माल मर्म । पकल्गार, विमान, केवलजान, मन-नर सम्बन्ध ज्या जानते हो। - पावन, कनक वर 'सेका फल तिहिं भानियो तक रही। -गवानकी नानाको ज १६ बम दिग्लाई देते हैं, उन्न नाम बताओ। ७-गल कर और किस समय प्ने जाते हैं ? तीसरा पाट। जिनेन्द्र जन्मकल्याणक । मति सुते अवधि विराजित, जिन जब जनमियो । तिहुँ लोक भयो छोभित, सुरगण भरमियो।। कल्पवालि दर चण्ट, अनाइदै चजियो । जोति वर हरिनादे, महज गर्ल गजियो । गाजियो महजहिं शंख भावन, भुवन सगर्दै सुहावने । स्तिर निलयं पटुपटह बजहि, कहत महिमा क्यों बने । कम्पित सुरास्न अवधिवल जिन. जन्म निहचे जानियो । धनरीज तब गजगजे मायामयी, निरमय आनियो ॥५॥ १-श्रुतज्ञान, -कर प्रवासी जातिके देव जो १६ स्वर्गामे रहते है, ३-विना जाप, ४-ज्योतिषी जानिके देव, ५-सिहनाद, ६-एक प्रकारका चाजा, ७-भवनवामी जातिके देव, ८-शब्द, ९-व्यन्तर जातिके देवोके ..पा, १० कुबेर, ६-हाथो, १२-म्नाकर ।
SR No.010158
Book TitleBalbodh Jain Dharm Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachand Goyaliya
PublisherDaya Sudhakar Karyalaya
Publication Year
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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