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________________ ( ५३ ) (छ) एक तपस्वीको खुजलीका रोग हो गया जिससे तमाम शरीरमें बढ़े बड़े जखम ( फोड़े ) हो गये, परन्तु उन्होंने किसी से दवा नहीं मॉगी । ८ निम्न लिखित प्रश्नोंके उत्तर दो: (क) जीवनतत्त्व और तत्त्वोंसे क्या सम्बन्ध है और कब तक है ? ( ख ) क्या कभी ऐसी हालत हो सकती है कि जब आस्रव और बध बिलकुल न हों, केवल निर्जरा ही हो । ( ग ) बध जो कहने में आता है, सो किस चीजका होता है ? (घ) सवरभावना में क्या चितवन किया जाता है ? (ड) यथाख्यात चारित्रके आस्रव और वध होते हैं या नहीं ? (च) पहले आस्रव होता है या वध १ (छ) परीषह कौन सहन कर सकते हैं और एक समय में एक ही परीषह सहन होती है या ज्यादह भी १ ९ पुण्य पाप किसे कहते हैं और कैसे कैसे काम करनेसे वे होते हैं ? १० निम्नलिखित कामोंसे पुण्य होगा या पाप ? क) एक मनुष्यने एक शहरमें जहाँ १० मंदिर थे और उनमेंसे दो तीन खडहर हो गये थे और तीन में पूजा प्रक्षालनका भी कोई प्रबन्ध न था, वहाँ अपना नाम करने के लिए ग्यारहवाँ मन्दिर बनवा दिया, पूजनके लिए चार रुपये महीनेका पुजारी नौकर रख दिया। (ख) एक सेठ हरेरोज बड़े नम्र भावोंसे दर्शन, पूजन, सामायिक स्वाध्याय करते हैं । ( ग ) एक चनीने एक दूरके गावके टूटे फूटे मंदिरको ठीक कराया और किसीको भी यह जाहिर न किया कि हमने इतना रुपया वहाँ लगाया है । (घ) एक जैनीने पूरे ६०००) रुपयों में अपनी बेटीको देवपर स्थ चलाया और सिंघई पदवी प्राप्त की । (7) विचारखर रिमप्त ( घूँस ) लेना कि वो धर्मके कामों में लगायँगे । (च) एक पडितमहाशय किसी बात को न समझ सके. उन्होने यह नहीं कहा कि मैं इसे नहीं समझता है किन्तु उल्टी तराने समझा दिया । (छ) एक विद्यार्थीने पुस्तक लिए अपने माता मिलने कुछ दान
SR No.010158
Book TitleBalbodh Jain Dharm Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachand Goyaliya
PublisherDaya Sudhakar Karyalaya
Publication Year
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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