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________________ सम्यक्त्व ६२३ आप लोहे की अपेक्षा ताँबे को, ताँबे की अपेक्षा रूपे को, रूपे की अपेक्षा सोने को, और सोने की अपेक्षा रत्न को अधिक महत्त्व देते हैं । इसका कारण यह है कि, उनका मूल्य उत्तरोत्तर बढता जाता है। पानी और वजन अधिक होने पर रत्न को आप अधिक मूल्यवान मानते हैं । एक बार एक समाचारपत्र में विश्व के ज्ञात हीरों का विवरण प्रकाशित हुआ था । उसमे हीरों के नाम, वजन तथा मूल्य भी प्रकाशित किया गया था। उस विवरण के अनुसार वर्तमान जगत का सबसे बड़ा हीरा 'ज्युबिली' है । उसका वजन २३९ कैरट है और उसका मूल्य ७० लाख रुपया ऑका गया है । दूसरे नम्बर का हीरा रीजेण्ट' है । उसका वजन १३७ कैरट है और मूल्य ६७ लाख रुपया आँका गया है । तीसरे नम्बर का हीरा 'ग्रेट मोगल' है । उसका वजन २६९ कैरट है और उसका मूल्य ५५ लाख ऑका गया है । और, चौथे नम्बर पर 'कोहेनूर' है, जिसका वजन १०६ कैरट तथा मूल्य ५२ लाख है। इन हीरों में एक भी हीरा एक करोड़ रुपये का भी नहीं है। पर, मान लें कि, इस जगत में अन्य हीरे हों, जिनका मूल्य १, २ या ३ करोड़ रुपया हो, परन्तु इनमे भी एक भी हीरा ऐसा न होगा, जो सम्यक्त्व की तुलना मे ठहर सके ! मैं तो यह कहता हूँ कि, यदि जगत के समस्त रत्न अथवा चक्रवर्ती का सम्पूर्ण राज्य भी एक ओर रख दे और दूसरी ओर सम्यक्त्व को रखें तो सम्यक्त्व का ही पलड़ा नीचे झुका रहेगा। ___ हीरे, रत्न, राज्य की ऋद्धि मनुष्य में तृष्णा उत्पन्न करते हैं, उससे अनेक कुकर्म कराते हैं और अन्ततः उसे दुर्गति में ले जाते हैं; जबकि सम्यक्त्व मनुष्य को सम्यक् , सच्ची दृष्टि प्रदान करता है, धर्ममार्ग मे स्थिर करता है और अन्त में अनन्त-अक्षय सुखपूर्ण सिद्धिसदन मे ले जाता है। इसलिए, सम्यक्त्व रत्न से श्रेष्ठ कोई रत्न नहीं है। मैं कहता हूँ कि, सम्यक्त्व की तुलना इस जगत का कोई पार्थिव पदार्थ नहीं कर सकता । अतः यह बात यर्थार्थ है कि, 'सम्यक्त्व-रत्न से बड़ा कोई रत्न नहीं है।'
SR No.010156
Book TitleAtmatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmansuri
PublisherAtma Kamal Labdhisuri Gyanmandir
Publication Year1963
Total Pages819
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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