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________________ ३६६ कर्म का उदय खतरे में पड़ जायगी। 'जितना भोग लिया, उतना भार कम हुआ' इस सूत्र को याद रखिये और इस बात की सावधानी रखिये कि, नवीन कर्मबन्ध न हो । हमारे एक महात्मा ने कहा है कि-'बध समय चित चेतिये, उदये क्या सन्ताप ? अगर कर्म बाँधते समय ही संभल कर चले, तो कर्म ढीले धे और शुभ परिणाम देनेवाले भी हो जाये। यदि वे शुभ परिणाम वाले न हों और अशुभ ही फल दें तो भी फल ढीला होगा । इस लिए जाग्रत रहकर, अभ्यास, धर्मव्यान, आराधना, परमात्मा की भनि करके यदि राग-द्वेष आदि कपायो से यथाशक्ति दूर रहने का प्रयत्न करेंगे, तो निश्चय ही कर्मादय के समय घबराने की आवश्यकता नहीं रहेगी। याद रखिये कि, अशुभ को शुभ और शुभ को अशुभ करने की शक्ति आत्मा मे है--कार्मणा वर्गणा में नहीं । ___ज्योतिष शास्त्र में सब निमित्तो में शकुन को विशेष मान्यता दी गयी है। वह सुख-दुःख का दाता नहीं सूचक है। 'निमित्ताना सर्वेषा शकुनो दण्डनायक:- सब निमित्तों मै शकुन मुख्य है। आप चाहे जैसे शुभ चौघड़िया मे मगलकार्य करने तैयार हो, लेकिन अगर शकुन अशुभ हो जाये, तो आप रुक जाते हैं। शास्त्रकार कहते हैं कि, पहले अपशकुन के समय रुक कर आठ सॉस तक ठहरें, तब चलें। अगर दूसरी बार अपशकुन हो, तो रुक कर सोलह साँस तक ठहर कर आगे बढें । लेकिन, अगर तीसरी बार भी अपशकुन हो, तो चाहे जैसा महत्त्वपूर्ण कार्य हो तो भी उस दिन स्थगित ही रखना चाहिए । कुछ लोग अपशकुन करनेवाली वस्तु या प्राणी का तिरस्कार करते हैं । बिल्ली रास्ता काट जाये तो उसे लकड़ी से मार देते हैं। लेकिन, सचमुच देखा जाये, तो आपको उसका उपकार मानना चाहिये कि, उसने आपको भावी घटना की सूचना दी। निमित्त-शकुन की अपेक्षा श्वास अधिक बलवान है, कारण कि उसकी मात्रा बहुत सूक्ष्म है। उदाहरण के लिए, दाहिने हाथ गाय मिली तो २४
SR No.010156
Book TitleAtmatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmansuri
PublisherAtma Kamal Labdhisuri Gyanmandir
Publication Year1963
Total Pages819
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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