SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 40
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रात्मतत्व-विचार विजली द्वारा अनेक प्रकार के कार्य होते हैं । बटन दबाया कि पखा चलने लगा या रोशनी हो गयी, लेकिन क्या पंखा चलानेवाली या रोशनी कर देनेवाली बिजली को किसी ने ऑखो से देखा भी है ? कैसी भी तेज नजर वाला हो पर उसे ऑखो से नहीं देख सकता। किसी चीज को सौ गुना अथवा हजार गुना बड़ा दिखानेवाला यत्र भी आँख से लगाया जाये पर फिर भी वह नहीं देखी जा सकती। उसके कार्यों मात्र से हम कहते है कि, इस जगत् में बिजली नाम की भी कोई चीज है। आज घर-घर में रेडियो बजता है और यह कहा जाता है कि यह गीत अमेरिका से आया, 'यह गीत कोलम्बो से आया', 'यह गीत कलकत्ता से आया, तो वह गीत अमेरिका, कोलम्बो या कलकत्ता से यहाँ बम्बई में किस तरह आया ? किसी ने आता हुआ देखा भी था ? जो यह कहा जाये कि, वह तो 'ईथर' की लहरो में गतिमान होता हुआ यहाँ आया, तो उस 'ईथर' को या उसकी लहरो को गतिमान होते हुए किसने देखा है ? मात्र कार्य से उसकी प्रतीति होती है। 'जो चीज नजर से दिखायी नहीं देती, उसका अस्तित्व नहीं होता, ऐसा कहनेवालो से अगर पूछा जाये कि, तुम्हारे पितामह थे या नहीं ? उनके पितामह थे या नहीं ? और, उनके भी पितामह थे या नहीं ? तो वे क्या जवाब देगे ? वे यही कहेंगे कि, 'हा, थे।' फिर, उनसे पूछा नाये कि 'तुम्हारी सौवीं पीढ़ी थी या नहीं ? हज़ारवीं पीढ़ी थी या नहीं ? अरे । लाखवीं पीढी थी या नहीं ? तो उसका जवाब भी यही आयेगा कि 'हॉ, यौ।' ऐसा कहने का कारण क्या है ? जहाँ पाँचवीं पीढ़ी देखना भी मुटिकल है, वहाँ सौवी, हजारवी या लाखवीं पीढी कौन देख सकता है ? बहियो मे, चौपड़ी में, इतिहास के पोथो में या पुराने लेखो में भी उनका निर्देश नहीं मिल सकता । फिर भी कहते हैं कि 'हॉ, थी।' इसका कारण यही है कि वे पीढ़ियाँ नजर से नहीं दिखायी देती; लेकिन उनका कार्य
SR No.010156
Book TitleAtmatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmansuri
PublisherAtma Kamal Labdhisuri Gyanmandir
Publication Year1963
Total Pages819
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy