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________________ २१८ सहरण कर लिया और अपने मूल स्वरूप मे आ गये। से उन्होंने नमुचि को छोड़ दिया। राजा ने उसे और राज्य की बागडोर अपने हाथ में ले ली । इस तीन कदम को घटना से महामुनि विष्णुकुमार त्रिविक्रम कहलाये और आलोचन तपश्चर्या द्वारा शुद्ध होकर केवलज्ञान पाकर मोक्ष गये । इससे आपको आत्मा की शक्ति का अनुमान हो जायेगा । आप अक्षय-अनन्त शक्ति के भडार हैं, यह कभी न भूलना । अगर योग्य रीति से पुरुषार्थ करेंगे, तो इस शक्ति का पूर्ण विकास कर सकेंगे । और, अपना स्थान अनन्त शक्तिशालियों की पक्ति मे अवश्य ग्रहण कर सकेंगे । t आत्मतत्व- विचार फिर संघ के आग्रह देश निकाला दे दिया ***
SR No.010156
Book TitleAtmatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmansuri
PublisherAtma Kamal Labdhisuri Gyanmandir
Publication Year1963
Total Pages819
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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