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________________ यात्मा की शक्ति २११ ३ पिंगलक, ४ सर्वरत्न, ५ महापा, ६ काल, ७ महाकाल, ८ माणरक और ९ शंख । चक्रवर्ती की ६४००० स्त्रियाँ होती है, इस बात से कुछ लोग भड़क उठते है । पर, चक्रवर्ती जिन देगो को जीतता है, वहाँ की एक राजकन्या और एक दूसरी सुन्दर स्त्री इस प्रकार दो स्त्रियाँ उसे लग्नदान मे दी जाती है। और, सत्र देश चूंकि ३२००० होते है, इसलिए उनकी सख्या ६४००० होती है। इन तमाम स्त्रियो के पास चक्रवर्ती अपने दूसरे रूप करके जा सकता है : चक्रवर्ती अपनी विशिष्ट शक्ति से ६४००० रूप कर सकता है । अब चक्रवर्ती के बल पर आयें ! वह कुँचा या बावड़ी के किनारे स्नान कर रहा हो, उस समय एक हाथ से रस्सी का एक सिरा पकड़े और अगर उसका दूसरा सिरा सारी सेना अपने पूर्ण बल से खींचे तो भी उसे वहाँ से हटा न सके, उसका हाथ तक न नमा सके । वह तो रस्सी का एक सिरा पकड़े हुए दूसरे हाथ से स्नान करता रहे। शेर के सिर सवासेर होता है। कभी चक्रवर्ती से भी ज्यादा वलवान मनुध्य निकल आता है । जैसे बाहुबली मे भरत चक्रवर्ती से भी ज्यादा बल था । उसके साथ द्वन्द्व युद्ध में भरत हार गये थे। परन्तु, ऐसे उदाहरणो को अपवाद समझना चाहिए । सयमपूर्वक कठोर तपश्चर्या करने से अनेक लब्धियाँ प्राप्त होती है, जिससे शक्ति आश्चर्यजनक बन जाती है। महामुनि विष्णुकुमार की कथा से आपको यह बात समझ मे आ जायेगी । तपस्वी के बल पर महामुनि विष्णुकुमार की कथा प्राचीनकाल में हस्तिनापुर बड़ा समृद्ध नगर था। वहाँ पद्मोत्तरनामक राजा राज करता था। उसे ज्वालारानी से दो पुत्ररत्न पैदा हुए । उसमे बड़े का नाम विष्णुकुमार था और छोटे का नाम महापद्म था।
SR No.010156
Book TitleAtmatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmansuri
PublisherAtma Kamal Labdhisuri Gyanmandir
Publication Year1963
Total Pages819
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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