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________________ 7 श्रात्मा की शक्ति २०६ शाश्वत नियम मे कोई अन्तर नहीं पड़ता । रावण बोला - " इस चक्र से मेरा कुछ नहीं होगा । तुझे छोड़ना हो तो छोड़ ।" लक्ष्मणजी ने अपने पूर्ण बल से वह चक्र छोड़ा । वह सीधा रावण की तरफ चला । उसकी छाती से ज्यो ही टकराया कि उसके प्राण पखेरू उड़ गये । परस्त्री लम्पट होने से और आखिर तक अपनी भूल न सुधारने से क्या गति होती है, यह अब आप समझ सकते हैं । रावण का आत्मा चौथे नरक में गया और आज भी घोर यातना भोग रहा है । रावण की मृत्यु से उसकी सेना में हाहाकार मच गयो और राम की सेना में हर्षव्वनियाँ होने लगी । राम ने लका का राज्य विभीषण को दे दिया । तात्पर्य यह कि रावण सरीखे एक महाबलवान राजा ने अपने लाखो रूप किये, फिर भी वासुदेव का मुकाबला न कर सका । वासुदेव की शक्ति अद्भुत् होती है । चक्रवर्ती का बल चक्रवर्ती का अर्थ है समस्त भरतखंड का राजा ! उसके राज्य विस्तार मे छोटे-बड़े ३२००० देश, ७२००० नगर और ९६ करोड़ गाँव होते' है । वह ९६ करोड़ पैदल सैन्य वगैरह महान ऋद्धियों का एवं १४ रत्न, ९ निधि और ६४००० स्त्रियो का स्वामी होता है । * शास्त्र में नगर का लक्षण यह बतलाया है पण-प्रकियायादिनिपुणैश्चातुर्वर्ण्यजनैर्युतम् । श्रनेक जातिसम्बद्ध ं, नैक-शिल्पि -समाकुलम् ॥ सर्व दैवतसम्बद्ध, नगरत्वमिधीयते । - 'जो क्रयविक्रय आदि में कुशल चारों वर्णों के लोगों मे युक्त, लोगो वाला, अनेक शिल्पियों से भरपूर और सर्व प्रकार को दैवत नगर कहते हैं । १४ अनेक जाति के युक्त हो उसे
SR No.010156
Book TitleAtmatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmansuri
PublisherAtma Kamal Labdhisuri Gyanmandir
Publication Year1963
Total Pages819
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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