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________________ सर्वशता १६७ "तो चलिये लंडन"-पुलिस अफसर ने कहा । "चलिये लडन पहुँच कर वे लोग वैट मिस्टर अवे गये । पीटर ने कहा-"कृपया सब शाति रखें । मै जो कुछ कहता जाऊँ, लिखते जायें।" यह कह पीटर भारतीय योगी की तरह व्यानावस्थित हो गये! कुछ देर बाद पीटर ने बोलना शुरू किया---'चोरी पाँच आदमियो ने की है। एक दो अन्दर आये है, बाकी बाहर देख-रेख करते रहे हैं। चोरी में मोटर का उपयोग किया गया।" उस मोटर का नंबर भी पीटर ने सुना दिया, और कुछ देर के लिए मौन हो गये । फिर बोले-"लोअर टेम्स स्ट्रीट !” और, उस भाग का चित्रण भी कर दिया । वह सब ठीक था और पीटर उससे पहले कभी इ ग्लैण्ड नहीं आये थे ! यह सब देखकर पुलिस अधिकारी आश्चर्यचकित रह गये ! "आपके पास चोरी करनेवालो की कोई चीज है ?"-पीटर ने पूछा । "हाँ यह कोग है, इससे चोरो ने ताला तोड़ा था"--पुलिस अफसरों ने कोग पीटर के सामने रख दिया। पीटर ने कोश को लेकर देखा और फिर ध्यानस्थ हो गये। करीब पाँच मिनट के बाद ऑखें खोलकर बोले-'चलिये मेरे साथ।" "कहाँ ?" __"ग्रीनलेन मे"-पीटर ने कहा । वे सब मोटर पर सवार होकर कुछ देर में ग्रीनलेन आ पहुंचे। __ "सामने की लुहार की दुकान से चोरो ने यह कोश खरीदा था"-- पीटर ने कहा । इसके बाद वे सब 'वैस्टमिंस्टर अबे में वापस आ गये । "चोरी की चीज पहले लडन में खपायी गयी, बाद में वह ग्लासगो पहुँच गयी।"-पीटर ने कहा ।
SR No.010156
Book TitleAtmatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmansuri
PublisherAtma Kamal Labdhisuri Gyanmandir
Publication Year1963
Total Pages819
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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