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________________ सर्वज्ञता देता है, उसका नाम हो जाने पर पूर्ण ज्ञान प्रकट होना ही चाहिए । दूसरे, जो कम जानता है वह ज्यादा जान सकता है, और जो ज्यादा 'जानता है वह पूरा भी जान सकता है। हमारा ज्ञान सामान्य है, फिर भी हम भूत और भविष्य का अनुमान कर सकते है। पैर के निशान देखकर कहना कि यहाँ से हिरन गया है, यह भूतकालीन घटना सम्बन्धी अनुमान है। और, बादल और हवा का रुख देखकर कहना कि वर्षा होगी, यह भविष्यकालीन घटना सम्बन्धी अनुमान है। हमारा ऐसा अनुमान अक्सर सच निकलता है । तो फिर सर्वश्रेष्ठ जान वाले भूत और भविष्यत् काल का साक्षात् दर्शन क्यो नहीं कर सकते ? कोई तर्क करे कि हमारे पास सामग्री हो, वस्तु हो, कोई पदार्थ या जनगान हो, तो हम भूतकालीन या भविष्यत् कालीन अनुमान कर सकते है; पर नहाँ वस्तु का कोई चिह्न या नामोनिशान तक न हो, वहाँ ऐसा साक्षात् दर्शन कैसे हो सकता है ? पर, इस तर्क के करने वाले को भूलना न चाहिए कि, द्रव्य के पर्यायों का नाश होता है, पर द्रव्य का नाश नहीं होता । द्रव्य तो विश्व मे किसी-न-किसी रूप में विद्यमान रहता ही है, उससे भूत और भविष्यत् कालीन स्थिति का दर्शन किया जा सकता है। खान से निकला हुआ पत्थर अनेक हाथों से गुजर कर 'साहकोमैट्री' जानने वाले के पास आये, तो वह उसे कपाल से स्पर्श करा के कह सकता है कि यह पत्थर अमुक खान से निकला है, इसे अमुक व्यक्तियो ने निकाला है, उनके पास से अमुक-अमुक के पास आया है, आदि। उसके बतलाये हुए सब व्यक्ति विद्यमान ही हो, यह जरूरी नहीं है । उनमें से बहुत-से मर खप गये हों तो भी 'साहकोमैट्रिस्ट' उनके नाम बतलाता है, उनका वर्णन करता है, और वह सत्य होता है । रावण एक नीतिमान राजा था, उसे केवल सीता की ओर गग उत्पन्न हुआ था। उसके सिवाय उसने किसी परस्त्री की तरफ नजर उठाकर
SR No.010156
Book TitleAtmatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmansuri
PublisherAtma Kamal Labdhisuri Gyanmandir
Publication Year1963
Total Pages819
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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