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________________ आत्मा की संख्या . ८९ आदि ग्रन्थो में २५० अको की सख्या भी आती है। अगर सजा से सख्या बतानी हो, तो अंको की सख्या लखो-करोडो तक पहुँचती है। । उदाहरणके तौर पर नौके ऊपर नौ और उस पर ९ की सख्या लिखी हो (९९) तो उसका जवाब ३८ करोड अको से भी ज्यादा आयेगा । आप पूछेगे कि यह कैसे होगा ? इसलिए, उसका जरा स्पष्टीकरण करेगे । जब किसी भी सख्या का वर्ग आदि बताना हो तो उसके ऊपर एक छोटा अक लिखा जाता है । ९ के ऊपर छोटा २ लिखे तो इसका अर्थ हुआ कि ९४९--उसका उत्तर ८१ आयेगा । यहाँ ९ के ऊपर ९ और उसके ऊपर ९ लिखा है । उसका अर्थ यह हुआ कि ९ के ऊपर ३८७४२०४८९ लिखा है । (३८७४२०४८९) अब ९ को ९ से इतनी बार गुणा हो तो आप में से कोई गुणा नहीं कर सकता । गणित का बडा प्रोफेसर हो तो भी गुणा नहीं कर सकता। इसमें कितना वक्त जायेगा और कितने बड़े साधन चाहिये, इसका विचार कीजिये। लेकिन उसमें कितने अक आयेंगे यह जाना जा सकता है । ९ को जितनी बार ९ से गुणते जाये, उतनी बार एक एक अक बढता जाता है, यानी उसका जवाब १-ज्योतिप करडक में निम्नलिखित सख्या आती है . १८७, ६५५, १७६, ५५०, ११२, ५६५, ४१६, ००६, ६६६, ८१३, ४३०, ७७०, ७६७, ४६५, ४६४, २६१, ६७७, ७४७, ६५७, २५७, ३४५, ७१८, ६८१, ६ कुल ७० अक और इस पर १८० शुन्य, इस तरह कुल अक २५० । - ६ x६ ८१ दो अक _____x६ देखिये पृष्ठ ६०
SR No.010156
Book TitleAtmatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmansuri
PublisherAtma Kamal Labdhisuri Gyanmandir
Publication Year1963
Total Pages819
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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