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________________ सप्तम अध्याय १७५ विषय सुख का त्याग: जब संसार की प्रत्येक वस्तु क्षणिक है, प्रत्येक सम्बन्ध अस्थायी है, तो विषयजन्य सुख स्थायी और शाश्वत कैसे हो सकते हैं ? मुढात्मा को इसका ज्ञान नहीं रहता कि जिन विपय सुखों की लालसा में वह अपना अमूल्य जीवन नष्ट कर रहा है, वे ही अन्ततः दुःखदायी होंगे, भले ही थोड़े समय के लिए उनसे आनन्द मिल जाय। विपय सुखों में रति तो अपने कंधे पर कुल्हाड़ी मारने के सदृश है : विसय सुक्खु दुइ दिवहडा पुणु दुक्खहं परिवाडि । भुल्लउ जीव म वाहि तुहुँ अप्पा खंधि कुहाडि ॥१७॥ (पाहुदोहा) विषय वासना से कभी भी तृप्ति नहीं हो सकती। कहीं खारा जल पीने से प्यास बुझती है ? विषय सुख परिणाम में दुःखदायी भी होते है, किन्तु विषयी फिर भी उसमें आनन्द ही मानता है, जैसे स्वान अपनी ही अस्थि से बहते हुए रक्त को चाटकर आनन्द का अनुभव करता है। विपय फल और विष फल समान हैं, जो खाने में मीठे, किन्तु प्राण हरण करने वाले होते हैं।' पंचेन्द्रिय नियन्त्रण अतएव साधक को सर्वप्रथम पंचेन्द्रियों पर नियन्त्रण प्राप्त करना आवश्यक है। जब तक जीव इन्द्रियों के वश में रहेगा, तब तक मोक्ष पथ पर अग्रसर ही नहीं हो सकता । यही नहीं पंचेन्द्रियाँ ही विनाश का कारण होती हैं। पंचेन्द्रिय क्या, एक इन्द्रिय ही प्राणी को नष्ट कर देती है। मछलियां रसना के स्वाद के कारण अपना जीवन संकट में डाल लेती है, भ्रमर रस पान करने के लोभ से ही रात्रि में कमल में बंध जाते हैं, नाद के वशीभूत हो मग अपने जीवन की प्राहति दे देते हैं और पतंग दीपक के स्नेह में भस्म हो जाता है। जब एक-एक इन्द्रिय के कारण जीवों का विनाश हो जाता है तो पाँचों इन्द्रियों के वश में रहने भमत भमत भव जलधि पाय के भगवन नि मुभाउ नाउरे । कहा विलंब करै अब बउरे तरि भव जलनिधि पार पाउ रे । आनन्दघन चेतनमय मूरति, सुद्ध निरंजन देव ध्याउ रे ॥१॥ (अानन्दधन बहोत्तरी, पृ० ३५६) विषयन सेवत दुख भलई सुख तुम्हारइ जानु । अस्थि चवत निज रुधिर ते, ज्ययं सचु मानत स्वान ।।७। सेवत ही जु मधुर विषय, करुए होहिं निदान । विष फल मीठे खात के, अंतहि हरहिं परान ॥१२॥ (रूपचन्द-दोहा परमार्थ )
SR No.010154
Book TitleApbhramsa aur Hindia me Jain Rahasyavada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudev Sinh
PublisherSamkalin Prakashan Varanasi
Publication Year
Total Pages329
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size60 MB
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