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________________ विषय-सूची (खण्ड १) पृष्ठ संख्या १-६ २२-१२६ २२ प्रथम अध्याय-प्रास्ताविक रहस्यवाद का मूल-जिज्ञासा उपनिषद्-मूल स्रोत रहस्यवाद की अविच्छिन्न परम्परा द्वितीय अध्याय-क्या जैन दर्शन में रहस्यवाद सम्भव है ? आस्तिक और नास्तिक दर्शन जैन दर्शन की आस्तिकता-आत्मा और परमात्मा रहस्यवाद का तात्पर्य जैन तीर्थङ्कर प्रमुख रहस्यवादी आठवीं शताब्दी के बाद धर्म-साधना का नया स्वरूप (खण्ड २) तृतीय अध्याय-जैन रहस्यवादी कवि और काव्य जैन कवियों की उपेक्षा के कारण रहस्यवादी काव्य रचना का प्रारम्भ कुन्दकुन्दाचार्य कार्तिकेय मुनि योगीन्दु मुनि मुनि रामसिंह आनन्दतिलक लक्ष्मीचन्द महयंदिण मुनि छीहल बनारसीदास भगवतीदास रूपचन्द्र ब्रह्मदीप आनंदघन यशोविजय भैया भगवतीदास पाण्डे हेमराज यानतराय १०१ १०३ १११ ११३ १२२ १२४
SR No.010154
Book TitleApbhramsa aur Hindia me Jain Rahasyavada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudev Sinh
PublisherSamkalin Prakashan Varanasi
Publication Year
Total Pages329
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size60 MB
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