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________________ अपश्चिम तीर्थंकर महावीर संयम में अतिशय पराक्रम करने लगे । अल्पकषायी बनकर प्रत्येक क्रिया को निरतिचार पालन करने में तत्पर थे । शास्त्र के अध्ययन में लीन बनकर उपसर्ग, परीषहों को तृणवत समझकर समभावपूर्वक सहन करते थे। पूर्वसंचित कर्मों को काटने के लिए संयम ग्रहण करते ही निरन्तर मास खमण की तपस्या प्रारम्भ कर दी। 20 बोलों की आराधना की। अपने इस साधु जीवन में उन्होंने 11 लाख 60 हजार मासखमण किये । तपश्चर्या के साथ-साथ अर्हत भगवान् आदि एवं गुरु भगवन्तों की विनय-भक्ति करते हुए तीर्थंकर नामगोत्र के बन्धन योग्य बीस बोलों की उन्होंने आराधना की जिससे तीर्थंकर नामगोत्र का निकाचित बन्ध किया 169 Į - 77 निरतिचार चारित्र पर्याय का पालन कर अंत समय में संलेखणा संथारा कर 60 दिनों तक अनशन करके पचीस लाख वर्ष की आयु पूर्ण कर प्राणत नामक दसवें देवलोक के पुष्पोत्तर विमान में देवरूप में उत्पन्न हुए । 20 सागरोपम तक दिव्य देवऋद्धि का उपभोग करते रहे । अन्त में आयु क्षीण होने से 6 माह पूर्व ही पता लग गया था कि अब मेरा च्यवन होने वाला है । अन्य देव का तो, 6 मास आयु शेष रहने पर मनुष्य लोक में जन्म होगा, दिव्य देवभोगों को छोड़ना होगा, ऐसा जानकर ही मोहवश दुःखी बनते हैं लेकिन प्रबल पुण्योदय के प्रभाव से तीर्थकर मोह को प्राप्त नहीं होते।" देवलोक का आयुष्य पूर्ण होने पर चतुर्थ आरक के 75 वर्ष 8 ) माह शेष रहने पर ग्रीष्म ऋतु में आषाढ़ शुक्ला षष्ठी की रात्रि को, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के साथ चन्द्रमा का योग होने पर (चन्द्रमा उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में होने पर) महाविजय सर्वार्थ, पुष्पोत्तरवर पुण्डरीक, स्वस्तिक, वर्द्धमान महाविमान से नन्दन मुनि का जीव (भव्य महावीर की आत्मा) च्यवकर ब्राह्मणकुण्डपुर सन्निवेश में कुडाल गोत्रीय ऋषभदत्त ब्राह्मण की 2 जालंधर गोत्रीया देवानंदा ब्राह्मणी की कुक्षि में सिंह की तरह गर्भ में अवतरित हुआ । भगवान् महावीर स्वयं जानते थे कि मैं च्यवकर देवानन्दा के गर्भ में आया हूं।" जिस रात्रि में भगवान् महावीर की आत्मा देवानन्दा ब्राह्मणी के गर्भ में आई, उस रात्रि में देवानन्दा ब्राह्मणी अपनी शय्या पर अर्धनिद्रित
SR No.010152
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2005
Total Pages259
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size10 MB
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