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________________ 3. अपश्चिम तीर्थकर महावीर - 173 (क) आवश्यक चूर्णि; पृ. 292 (ख) आवश्यक चूर्णि, मलयगिरिः पृ. 282 उत्तराध्ययन सूत्र; अध्ययन 17 (क) जे आवि चंडे मइइडिगाखे, पिसुणे नरे साहस हीणपेसणे। अदिट्टधम्मे विणए अकोविए असंविभागी न हु तस्स मुक्खो। दशवैकालिक सूत्र; 9/2 (ख) दशवैकालिक सूत्र; 9/1 (ग) व्यवहार भाष्य; मलयगिरि वृत्ति सहित; संशोधक मुनि माणेक; प्रका. वकील त्रिकमलाल उगरचन्द तलियानी पोल, अहमदावाद; सन् 1928 चतुर्थोद्देशः। (घ) पंचवस्तुक डार 4 6. दशवैकालिक 9/7 सिआ हु से पावय नो डहिज्जा, आसीविसो वा कुवियो न भक्खे। सिआ विसं हालहलं न मारे, न आवि मुक्खो गुरुहीलणाए।। आयरिए ति आयरियं, कोइ पडिणीओ विणासेउमिच्छाति, सो जइ अण्णहाण हाति तो से ववसेवणं पि कुज्जा। नि. चू: गाथा 289 निशीथ सूत्रम्; प्रथमो विभागः; सम्पा. श्री उपाध्याय अमरचन्दजी म. सा.:प्रका. सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा: प्र. सं. 1958, पृ. 100 8. आचारांग: प्रथम श्रुतस्कन्धः पंचम अध्ययन । गुरु से कामा। ततो से मारस्स अंतो। जतो से मारस्स अंतो ततो से दूरे। (क) त्रिषष्टि एलाका पु. चा.. वही, पृ. 66 (ख) तं दिव्वं पेयणं अहियासंतस्स भगवतो ओही विगसिओ सव्वं लोगं पासितगारद्धो, सेसं कालं गमातो आढवेत्ता जाव सालिसीसं ताव सुरलोग पमाणो ओही एक्कारस य अंगा सुरलोगगप्पमाणमेत्ता, जापतिय देवलोगेसु पेच्छिताइता ! आव. चूर्णि: जिनदास: पृ. 292-93 10. नन्दी सूत्र टीका। (क) पुणरवि भादियणगरे तवं पिचित्तं तु घट्टवासंमि। मगहाए निरुवसगं मुणि उदुददंगि विहरित्या। 4-486/1130 आवस्यक पूर्णि, जिनदास. पृ. 293 स्टक मि मलमगिरि, 263 7.
SR No.010152
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2005
Total Pages259
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size10 MB
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