SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 94
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विचार करेंगे । टेवल का द्रव्य माने लकडी की जाति, क्षेत्र का अर्थ है लकडी देशी. सायात की हुई या दूसरी किसी जगह की है, टेवल हमारे देश मे बना हुआ है या विदेश से वनकर आया है । काल का अर्थ है कब बना, नया है या पुराना, और 'भाव' का अर्थ है, हम जिस समय खरीदने वठे है उस समय उसकी हालत, उसका रूप और उसकी मजबूती प्रादि । इन चार दृष्टियो से जांच करने के बाद इस टेवल का एक पूर्ण चित्र तैयार हो जाता हे । तत्पश्चात् उसका मूल्य निश्चित करने मे हमे कोई कठिनाई नही होती । हमारी आवश्यकता Ui gency ताकीद ग्रादि दूसरे दृष्टिविन्दु भी हमे इस प्रश्न का निर्णय करने मे सहायता पहुंचाते है। यह हुई जड पदार्थ की वात । अब हम, चैतन्य स्वरूप किसी एक मनुष्य की बात ले ले । किसी व्यक्ति का चेहरा देखकर उसके बारे मे हम कितनी बाते कह सकेगे। हम सर्व प्रथम यह तय कर लेगे कि वह नर हे या नारी या नपु सक । अव इसमे से हम नर की बात करे । वह कौन है ? कहा का है ? किस देश का है ? कौन से और कैसे परिवार मे पैदा हुआ है ? धनवान ? कुलीन ? उसके रग, रूप गरीर की हालत, सस्कार, पढाई, बुद्धि, इज्जत आदि न जाने कितनी ही वातो के विचार हमारे दिमाग मे आएँगे ? उसके वाहरी लक्षणो के अतिरिक्त उसके भीतर जाच करने पर हमे कितनी अनोखी बाते दिखाई देगी ? हर एक चीज, आपस मे विरोधी अनत गुणधर्मात्मक, अनेक प्रकार की विविधतायो से भरी हुई है। उसका उदाहरण
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy