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________________ साम्यवादी शासन भी आज लोकगासन के नाम से पुकारा जाता है । __इन सभी मे हमे जो मतभेद दिखलाई पडते है वे स्वय ही एक वडा लोकशासन है । बहुत साल पहले प० जवाहरलाल नेहरू ने एक वार लन्दन मे आयोजित कॉमनवेल्थ के प्रधानमन्त्रियो की परिपद मे भापरण देते हुए कहा था - "यदि विश्व की सारी जनता लोकशासन के नाना प्रकार के स्वरूपो मे से किसी एक को चुनने मे सहमत हो जाय, सवका अभिप्राय यदि एक-सा हो जाय, तो फिर विश्व मे 'लोकशासन' नाम की किसी चीज का अस्तित्व ही न __ इस वात को समझना अत्यन्त आवश्यक है। इसकी गहराई मे मानवजाति के मूलभूत स्वभाव का वास्तविक मूत्याकन छिपा हुआ है। आध्यात्मिक तत्त्वज्ञान के बारे मे भी कुछ ऐसी ही बात है । उसमे भी हमे भिन्न-भिन्न विचारधाराओ के दर्शन होते हैं, जब तक विश्व का अस्तित्व है तब तक मतभेदो का मिटना असम्भव है। अनादिकाल से ये मतभेद चलते ही आ रहे हैं और अनन्तकाल तक ये मतमतातर रहेगे इसमे कोई सन्देह नही । विश्व का अस्तित्व 'असामजस्य' के कारण ही गतिशील रहा है। यदि 'सामजस्य' की स्थापना हो जाय तो उसकी गति रुक जाएगी। इन्ही मतभेदो के कारण तो हमे जीने का आनन्द प्राप्त होता है । अनादिकाल से इन्ही मतभेदो को मिटाने के लिये हमारे महापुरुषो द्वारा जो प्रबल
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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