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________________ जीवन-संकट शीर्प देख कर भडकियेगा नही । जीवन एक झझट है और झझट नहीं है। हमे यदि जीवन को झझट के समान बना देना हो तो वह एक झझट है, यदि उसे झझट के समान न उनाना हो तो वह झझट नही है । ___ जीवन के विषय मे, जीवन के ध्येय के विषय में, जीवन जीने के मार्ग के विषय मे भॉति भाँति के मत प्रचलित है। यदि आप किसी साधु सन्यासी से मिले तो वह कहेगा"जीवन एक वडा झझट है, समार मे कुछ सार नहीं है। छोड दो भैया, इस ससार को छोड दो, सन्यासी बन जातो, साधु वन के प्रात्मा का कल्याण करो।" ___यदि आप किसी लोकनेता Public leade1 से मिले तो वह कहेगा--"ऐसी प्रवृत्ति मे लग जाओ जिससे समाज और देश का कल्याण हो । त्याग करो, बलिदान दो, मानवता की, दीन दुःखी की, दरिद्रनारायण की सेवा करो।" ____ यदि आप दोनो मतो को लेकर अपने पिताजी से मिले तो वे कहेगे, " छोडो यह सब झझट । चार पैसे कमाने मे मन लगायो, ये सव तो अमीरो या फकीरो के काम है। हमे तो सव से पहले अपना घर सम्हालना है। देखो भाई, इन सब झझटो मे न पडना।" फिर यदि आप विवाहित है और अपनी पत्नी से पूछते है तो वह क्या कहेगी ? वह कुछ इस तरह की बात कहेगी-- "उस गुणवन्ती बहन के पति के पास क्या था ? पहले तो
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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