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________________ ૨૮૨ तैयार नही है । कोई भी समझदार आदमी ऐसा मानने को तैयार नही होगा । आज तक विज्ञान ने जो खोजे की है, जो नया नया सशोधन भी हो रहा है, थोर जो नये ढंग के प्रयोग चालू है, उन सबके फलस्वरूप एक तथ्य हमारे सामने दीपक की तरह प्रकाशमान होता है कि "अभी तक वहुत बहुत जानना वाकी है ।" हमे इन सब मे से यह स्पष्ट और निश्चित वात मालूम होती है । आधुनिक वैज्ञानिक प्रयोगो से हमे ऐसी ही दूसरी एक अधिक महत्त्व का वात ज्ञात होती है । वह वात यह है कि "नये नये संशोधन के द्वारा हमारे सामने जो सव ग्रनोखा परिणाम प्रस्तुत किया गया है उसमें 'कुछ भी नया नही है ।' जगत् के स्वरूप के विषय मे हजारो लासो वर्ष पहले ग्रात्मजानियो और केवली भगवन्तो ने जो कुछ कहा था, शास्त्र-मन्थो मे लिखित हो हो कर जो कुछ हमारे पास श्राया था, उसमे न हो, ऐसी कोई नई बात हमे ज्ञात नही हुई । प्लास्टिक और बैकेलाइट जैसे पदार्थो से बनी हुई चीजे हजारो वर्ष पहले जमीन मे गडी हुई सस्कृति का परिचय देने वाले पिछले दिनो खोद कर निकाले हुए प्राचीन नगरो के ग्रवगेपो मे देखने को मिलती हैं । यह बात कहने में हमारा उद्देश्य आधुनिक विज्ञान को उपालभ देना नही है । वर्तमान विश्व मे वैज्ञानिक संशोधन का महत्त्व साधारण नही है । उन्होने जो कुछ खोजा, बताया और भी खोज रहे हैं उसके पीछे काम करने वाली बुद्धिशक्ति के लिए वे हमारे अभिनन्दन के पात्र है । वैज्ञानिक लोग
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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