SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 271
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २५३ (२) वैरिस्टर चक्रवर्ती का बचावपत्र पढने में दूसरा अभिनाय नामने आता है कि 'अभियुक्त टोपी नहीं है।' (३) अभियोगपत्र को अपेक्षा मे नया बचावपत्र की अपेक्षा में तटस्प न्यायायोग नोट करते है कि 'अभियुक्त दोषी है और नहीं है ।' ( ४ ) इन परिस्थितियों में निर्णय देने का कार्य प्रवक्तव्य' है निर्णय के विषय मे कुछ नहीं कहा जा सकता। (५) परियाद पक्ष के गगहो के ज्यान लिए जाते है, श्रीर वैरिस्टर चक्रवर्ती उनकी जांच Crossexamination) करते हैं । गवाहो के बयान देखते हुए अभियुक्त दोपी है, परन्तु जॉत्र को देखते हुए उनके दोषी होने का निर्णय नहीं दिया जा सकता। अत 'अभियुक्त दोपी है, पर निर्णय के विषय में कुछ नहीं कहा जा सकता। (c ) बचाव पल के गवाहो के बयान लिये जाने हैं, और सरकारी वकील उनकी जॉच ( Crossexamination ) करते है। इन गवाहो के वयान देखते हुए अभियुक्त दोपी नहीं है, परन्तु जाँच को देखते हुए उसके दोषी नहीं होने का निर्णय नही दिया जा सकता । अतः 'अभियुक्त दोपी नहीं है, परन्तु निर्णय के विषय मे कुछ नहीं कहा जा सकता। (७) फरियाद पक्ष का केस, सगीन ग से पेग हुना है, वचाव पक्ष की ओर से भी अभियुक्तो के हित
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy