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________________ २५२ चतुष्टय वन जाता है, और अभियुक्त के लिए जो स्वचतुष्टय है वह खून के विषय मे परचतुष्टय बन जाता है। __अव जिसका खून हुमा है सो हुआ ही है । खून हुआ है यह एक तथ्य है। यह वात एक निश्चित तथ्य के रूप में प्रस्तुत की गई है । अव प्रश्न अभियुक्त के बचाव का है । उसका वचाव वैरिस्टर चक्रवर्ती के हाथ मे है । उनके सामने फरियाद-पक्ष के सरकारी वकील है । वे दोनो मिलकर, आमने सामने खडे रह कर न्यायाधीश के सम्मुख यह केस चलाने वाले है, अपनी अपनी बात पेश करने वाले है । इस केस मे फरियाद-पक्ष तथा वचाव पक्ष की ओर से गवाह भी आएंगे। केस के समय ज्यूरी के सदस्य भी उपस्थित रहेगे।। ___न्याय-फैसला-करने का कार्य न्यायाधीश महोदय को करना है । इससे पहले वे ज्यूरी की राय भी प्राप्त करेंगे। वे महाशय इस केस की समस्त कार्यवाही के समय अपने मदा के स्वभावानुसार तटस्थता धारण करके बैठेगे । फरियाद-पक्ष यह सिद्ध करने का प्रयत्न करेगा कि अभियुक्त ने खून किया है । बैरिस्टर चक्रवर्ती यह सिद्ध करने के लिए कि अभियुक्त निर्दोष है, अपनी पूरी ताकत लगा देगे । इन सब मे क्या सत्य है, इस वात का निर्णय करके निष्पक्ष फैसला सुनाने का कार्य अन्त मे न्यायाधीश महोदय को करना है। ___ अब हम यह देखेंगे कि केस की कार्रवाई के दर्मियान न्यायाधीश महोदय के सम्मुख कैसे भिन्न-भिन्न चित्र उपस्थित होते है। (१) फरियादी पक्ष की ओर से प्रस्तुत अभियोगपत्र से यह अभिप्राय प्रकट होता है कि 'अभियुक्त दोषी है।
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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