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________________ २३७ खो दिये है । दाहिने हाथ मे पेसिल पकडे, एक कागज पर ' पोटेशियम सायनाइड का स्वाद '-' है, ऐसा वाक्य लिख कर उसमे रिक्त स्थान की पूर्ति करने के प्रयत्न में रहे हुए जोखिम को ग्रच्छी तरह समझते हुए भी उक्त विष को जीभ पर रखने वाले और प्राणो की बलि चढाने वाले वैज्ञानिको की जिज्ञासावृत्ति कितनी उग्र, तीव्र और महान् होगी, इसकी कल्पना कोई भी कर सकता है। ? इस पदार्थ का स्वाद खट्टा, खारा, कडुग्रा, मीठा, तिक्त, आदि में से कोई एक होना चाहिए। इनमें से 'कोई' एक शब्द कागज पर लिखने मे एकाध सेकण्ड भी शायद ही लगे । परन्तु यह जहर इतना घातक है कि वह किसी को ऐसा एक शब्द लिखने का मौका तक नही देता । इस काम के लिए किया गया किसी का भी प्रयत्न ग्रभी तक सफल नही हुआ । जिस जिसने ऐसा प्रयत्न किया वह उसी क्षण भर गया और इस जहर के स्वाद की समस्या अभी तक हल हुए विना ही पडी है | पोटेशियम सायनाइड मे कोई 'स्वाद है या नहीं' इस प्रश्न पर यदि हम सप्तभागी के उपयोग के द्वारा विचार करे तो उसके सातो पदो मे इसका जवाब मिलेगा । इस बात पर तो सभी वैज्ञानिक सहमत है कि वह एक स्वादयुक्त पदार्थ है | परन्तु इसका स्वाद कैसा है इसका उत्तर प्रभी तक नही मिल सका है । इसलिए इस 'स्वाद' के लिए भी ऐसा निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि जीवन ग्रनाशक स्वाद 'नही है ।' इस तरह यहां 'है' 'नही है' 'है और नही है' आदि सभी पदो का प्रयोग हो सकता है ।
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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