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________________ २३० व्यावहारिक उपाय से पानी नही मिला इसलिए 'पानी नहीं है। वैज्ञानिक मान्यतानुसार जमीन के नीचे पानी होता ही है, फिर भी यहाँ नहीं मिला। तो यह पानी क्यो नहीं मिला ? फिर भी हम निश्चयपूर्वक यह कहने की स्थिति में नही है कि फिर से प्रयत्न करने पर अन्य किसी स्थान पर खुदाई करने पर, या वोरीग आदि भिन्न भिन्न उपायो सेइन सब भिन्न-भिन्न अपेक्षायो के द्वारा भी पानी नहीं मिलेगा। ___ अत इस जलहीन कहलाने वाले प्रदेश मे 'पानी नही है. और अवक्तव्य ( कुछ नहीं कहा जा सकता ) है'-ऐसी एक सपूर्ण बात कह कर हम परिस्थिति का समुचित चित्र प्रस्तुत कर सकेगे । यह एक स्पष्ट और निश्चित वात हो गई। पाँचवे भग की है और प्रवक्तव्य हे' वाली वात के समान ही यह 'नही है और अवक्तव्य है' वाली नयी वात छठे भग मे आई है । यह छठा नया दृष्टिविन्दु दीपक की भांति स्पष्ट है । सप्त-भगी की सपूर्ण शृखला की यह एक अनिवार्य कडी है। इस तरह इस छठे भग के द्वारा हम यह स्वीकार कर लेते है कि -- 'घडा और फूलदान नहीं है और प्रवक्तव्य हैं।' अव सातवी और अन्तिम जिज्ञासा का उत्तर प्राप्त करे । कसौटी ७-स्यादस्ति नास्ति अवक्तव्यश्चैव घट । इसकी सधियो का विग्रह करे:स्यात् + अस्ति+न+अस्ति+अवक्तव्यः+च+ एव घट । इसका अर्थ है, 'कथचित् घडा है, नही है और प्रवक्तव्य पांचवे भग मे पहले और चौथे के सयोजन से एक नया
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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