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________________ १४४ ने जो वाते बताई है, वे सामान्यतया अगम्य है, ऐसा बहुतो को लगता है । परन्तु अाधुनिक वैज्ञानिको ने इसका समर्थन किया है । वे भी मानते है कि समस्त अवकाग सूक्ष्म जीवो से भरा हुआ है। आधुनिक वैज्ञानिको ने ऐसी खोज की है कि 'इस ससार मे ऐसे सूक्ष्म जीव भी है जो एक लाख से अधिक संख्या मे एक सुई की नोक पर वडे मजे से, विलकुल भीड किये बिना, आराम से बैठ सकते है ।' वैज्ञानिको ने इन जीवो को 'थेक्सस' नाम दिया है । ___ इससे स्पष्ट होता है कि जैन तत्त्ववेत्तानो ने निगोद की तथा निगोद मे रहते हुए जीवो की जो बात कही है वह सत्य एव प्रमाणभूत है। 'जीव-विचार' का यह विपय अत्यन्त रसप्रद है, उसका अध्ययन करने पर विशेप विश्वास होगा। जिन्हे स्थावर, त्रस, सूक्ष्म, वादर आदि जोवो के विषय मे अधिक जानने की इच्छा हो उन्हे इस विषय का साहित्य प्राप्त कर पढना चाहिए, अथवा किसी विशेपन (तज्ज्ञ) पुरुप का सपर्क साधना चाहिए। अब हम पुन. मूल विषय पर पाते है । ऊपर दिये गये निगोद के जीव के दृष्टात पर से हमे मालूम हुआ कि पाँचो कारण एक साथ मिलकर किस प्रकार एक कार्य को पूर्ण करते है। परन्तु यह तो बहुत उच्च भूमिका की बात हुई। अब हम एक सीधा सादा, और बुद्धिगम्य दृष्टान्त लेते है।। ___'हम कपड़े की एक नयी मिल बनाना चाहते है। इसके लिए प्रारब्ध से प्राप्त लक्ष्मी (पूञ्जी) उद्यम से तैयार की हुई योजना तथा इस उद्योग के सचालन मे कुशल हो, ऐसे गुणस्वभाव वाले टेकनीशियन तथा मजदूर और उन सबका
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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