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________________ अश्वसेन साजा, माता-वामादेवी,, विमान प्रणत देवलोका वर्ण-नीलाम, केवलवृक्ष-देवदारु या धातकी; लाछनसर्प, यक्ष-पार्श्व (श्वे०) वा धरजेन्द्र (दि.) यक्षी-पद्मा वती, चउरीधारक-अजितराज, नि० स्थान स० शिखिर गर्भ वैसाख वदी २ जन्म व तप पो. वदी ११ केवल ज्ञान चैत्र बदी ४ श्रावण सुदी ७ २४. तीर्थंकर महावीर वा बधमान; जन्मस्थान-कुड़ग्राम पिता-सिदार्थराज या भेयास वा यशस्वी; मातात्रिशला; विदेहदत्ता वा प्रियकारिणी, विमान-प्रणत देवलोक, वर्ण-पीताभ, केवलवक्ष-शाल , लॉछन -सिंह; यक्ष-मातग, यक्षो-सियिका, चउरीधारक-प्रेणिक या बिम्बसार नि० स्थान पावापुर गर्भ अषाढ़ सुदी ६ जन्म व तप चैत्र सुदी १३ केवल ज्ञान मगसिर वदी १० बैसाख सुदी १० निर्वाण कार्तिक वदी १५ २४ यक्ष मा शासन देवतामों का विशद वर्णन (जैनधर्म के अभ्युत्थान के साथ२ भारतियो का लोकविश्वास और साहित्यिक परपरामे यक्ष लोगो का एक गोष्टीगत भावमें यहा अस्तित्व था। जन विश्वासके मुताबिक इन्द्रदेव चौबीस तीर्थकरो की सेवा के लिये २४ यक्षो को शासन देवता के स्वरूप नियुक्त करते हैं। प्रत्येक तीर्थकरके दाहिने पाव में यक्षमति की प्रतिष्ठाकी जाती है) १ यक्ष (शासन देवता)-गोमुख, श्वेताबम्र संकेत-वरदामुद्रा जयमाला और कुठार दिगम्बर संकेत-मस्तकपर धर्मचक्र का प्रतिरूप, वाहन-वृक्ष (श्वे.), गज (दि.), तीर्थकरऋषभदेव या आदिनाथ, २ यक्ष (शासन देवता)-महाक्ष, श्वेताम्बर सकेत-चतुर्मुख और प्रष्टबाहु, वरदा,गदा, जयमाला,पाश,निबु, अभय, अंकुश, -११४
SR No.010143
Book TitleUdisa me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Shah
PublisherAkhil Vishwa Jain Mission
Publication Year1959
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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