SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 122
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ से ऊपर जाने पर पहले खण्डगिरि गुफामें प्रवेश करना पड़ता है । गुफाकी निचली मंजिलमें जो प्रकोष्ट है, उसकी ऊँचाई ६ फीट २ इन्च है । प्रोर ऊपरी मंजिल की ऊचाई ४ फीट इन्व है। इसके अलावा नीचे की मंजिल में एक छोटी टूटी-फूटी गुफा है । ऊपरी मंजिल के प्रकोष्ट के निकट में एक छोटी कोठरी मालूम पडती है । उस छोटी गुफा में पतित पावन की मूर्ति कित है। खण्डगिरि गुफाके दक्षिण तरफ धानगढ नामक एक दूसरी गुफा है। उस गुफा में स्थित शिलालेख भाजतक भी पढ़ा वही गया है । यह माठवी या नवी शताब्दी में लिखा गया है ; ऐसा अनुमान किया जाता है। इसके दक्षिण दिशा की पोर नवमुनि गुफा, बारभुजि गुफा और त्रिशूल गुफा है । नवमुनि गुफा में दो प्रकोष्ठ हैं। इस गुफा में १० वी शताब्दी का एक शिलालेख है। इसमें जैनमुनि शुभचन्द्र का नाम उल्लेख किया है । गुफा के दक्षिण पार्श्व में स्थित जैनियोके २४ वें तीर्थंकर की मूर्ति खोदी गई है । यही नवमुनि गुफाकी विशेषता है । जैनधर्म में हम लोग साधारणत २४वें तीर्थंकर का सधान पाते है । उनकोही नवमुनिगुफामें रूपदान किया गया है। सबो की एतिहासिक स्थिति तथा प्रमाण पाना संभव नहीं है। उन की जोवनी अनेक समय से कल्पनिक और रहस्य जनक है । यह बात हमें जैनशास्त्र से प्रतीत होती है । बहुत दिनो तक जीवित रहकर ये तीर्थंकर जैनधर्मकी अहिंसा वाणी का प्रचार किये थे | इन्ही २४ सो के जीवन काल की घटना को एकत्रित करने पर भारत का प्राचीन ऐतिहासिक काल ऐतिहासिक बुग से भी भागे बढ जायगा । इसलिये कितने तीर्थंकर समसामयिक थे ऐसे कितनो का विचार है, पर वह ठीक नही है । जैनधर्म में ये तीर्थंकर सदा पूजनीय है। जैन तीर्थ स्थानो मैं जो २४ तीर्थंकरो की स्थापना हुई है, उनको एक प्रकार —१०६–
SR No.010143
Book TitleUdisa me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Shah
PublisherAkhil Vishwa Jain Mission
Publication Year1959
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy