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________________ गुफी, हाथों गुफा, वाघ गुफा और जम्वेश्वर गुफा विद्यमान, है। पहाड के पृष्ठ भाग को काटकर समतल किया गया है। समतल स्थान के केन्द्र स्थल में एक क्षुद्र मंडप है। इस मंडप में अनेक समय से छोटे २ मन्दिरों का भग्नावशेष भी मालूम पड़ता है । धान पर की गुफा १४ फीट लम्बी और उसके लिये तीन प्रवेश द्वार है। बरामदे में बैठने के लिए बदोबस्त किया गया है । वाम पार्श्व में स्थित स्तभ के शरीर में सैनिकों की मूत्ति खोदी हुई है । सैनिक के मस्तक पर एक हाथी की मूर्ति भी दिखाई पड़ती है। हाथी गुफा का गठन पति असाधारण है। इसमें कोई निर्दिष्ट प्राकार नहीं है। हाथी के ४ प्रकोष्ठ और स्वतत्र बरामदा भी था। गुफा का अन्तर्देश ५२ फीट लम्बा और २८ फीट चौडा है। द्वार की ऊंचाई ११३ फोट है । इसमें खारवेल का विश्व विख्यात शिलालेख है । इसशिलालेख में उनका जीवन चरित्र लिपिबद्ध हुआ है। समय २ पर यह शिलालेख मसम्पूर्ण के समान बोध होता है। हाथी गुफा के पश्चिम में ८ गुफाएं हैं । इसके ठीक ऊपर पार्श्व में सर्प गुफा अवस्थित है। यह गफा सर्प के फण के समान दीखतो है । सपंफण जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ का प्रतीक है । यह गुफा बहुत छोटी है। इसकी ऊंचाई केवल ३ फोट है। यहां पर दो शिलालेख है । वे बिना भूल हुए पढना सभव नही, क्योकि अनेक प्रक्षर नष्ट हो गये हैं। सर्पगुफा के उत्तर पश्चिम को ओर व्याघ्र गुफा है । इसका अग्रभाग शार्दूल की मुखाकृति के समान दिखाई पडता है। व्याघ्र गुफा केवल ३१ फीट ऊंची है तथा द्वार में स्थित शिला लिपि के द्वारा मालूम पडता है कि वह गुफा जैन ऋषि सुभूति की थी। जम्वेश्वर गुफाकी ऊँचाई केवल ३ फीट ईच है । इस
SR No.010143
Book TitleUdisa me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Shah
PublisherAkhil Vishwa Jain Mission
Publication Year1959
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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