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________________ परम ज्योति महावीर ५६६ वाणिज्य ग्राम में तेइसौं चौमासा करने टहर गये । तदनन्तर 'ब्राह्मण कुण्ड' गये, फिर वे 'कौशाम्बी' नगर गये ॥ पश्चात् 'राजगृह' पहुँच गये, धर्मामृत धार बहाते वे । निज शक्त्यनुसार सभी जनको बत अङ्गीकार कराते वे ॥ चौबिसवाँ वर्षावास यहींपर कर पश्चात् विहार किया। 'कोणिक' की राजपुरी 'चम्पा'में श्राकर धर्म प्रचार किया ।। राजा 'कोणिक' निज प्रजा सहित उस धर्म-सभा में आये थे। धर्मोपदेश सुन बहुतों ने मुनियों के व्रत अपनाये थे। "चम्पा' से चलकर प्रभुवर ने विहरण 'विदेह' की ओर किया । "पथ में 'काकन्दी' में रुककर भक्तों को हर्ष बिभोर किया ।
SR No.010136
Book TitleParam Jyoti Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanyakumar Jain
PublisherFulchand Zaverchand Godha Jain Granthmala Indore
Publication Year1961
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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