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________________ फिरोजाबाद चातुर्मास के अवसर पर आषाढ़ शुक्ला 13 सन् 1986 में क्षुल्लक दीक्षा तथा संघ के मथुरा-चौरासी पहुंचने पर ऐलक पद ग्रहण किया। मुनि दीक्षा सोनागिरजी में ली। सुहागनगरी फिरोजाबाद में प्रथम दीक्षा होने के कारण नाम 'सुहागसागर जी' पड़ा। ___ मुनिश्री पदमसागरजी मुनिश्री एटा नगर के निवासी थे और आचार्य श्री सन्मतिसागर जी की गृहस्थावस्था के भानजे थे। अल्पावस्था में आचार्य श्री सन्मतिसागर जी से श्री सम्मेदशिखर जी में मुनिदीक्षा पा ली थी। वे अकेले ही विहार करने लगे। राजस्थान के एक अतिशय क्षेत्र में आपकी समाधि हो गई। मुनिश्री संभवसागरजी आपका जन्म ग्राम रैमजा, जिला फिरोजाबाद में हुआ था। पिताश्री का नाम श्री पन्नालाल व मातुश्री का दुर्गाबाई था। गृहस्थावस्था का नाम श्री लाल था। ब्रह्मचर्य व्रत मिर्जापुर में लिया। क्षुल्लक दीक्षा व मुनिदीक्षा आचार्य श्री विमलसागर जी से श्री सम्मेद शिखर में प्राप्त की। मुनिश्री अपने गुरु आ. श्री विमलसागर जी के संघ के साथ ही रहते थे। आपकी समाधि आगरा जिलांतर्गत एत्मादपुर में हुई जहां उनके चरण विराजमान हैं। मुनिश्री विष्णुसागरजी आपका जन्म एटा जिले के कुसवा ग्राम में हुआ जो जलेसर-एटा के बीच कुसवा स्टेशन से 4 फाग दूर है। पिताजी का नाम श्री प्यारेलाल और मां का नाम कुन्था देवी था। प्रारम्भिक शिक्षा निज ग्राम तथा गांव पोंडरी से कक्षा 4 उत्तीर्ण की। श्री गोपाल दि. जैन सिद्धांत विद्यालय मुरैना पद्यावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 65
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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