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________________ में प्राचीन जैन ग्रन्थ भंडार है। वहां कुछ शोध सामग्री मिल सकती है । फिरोजाबाद में बोधा कवि, श्रीधरपाठक, निपट निरंजन, मुंशी जुगलकिशोर 'हुस्न' आदि कवि हुए जिनमें श्री ब्रह्मगुलाल अग्रणीय हैं। फिरोजाबाद को, इस बात का गौरव है कि इतने उच्च कोटि के कवियों का जन्म हुआ ।" आचार्य सुधर्मसागर जी महाराज श्री 108 आचार्य सुधर्मसागर जी महाराज का गृहस्थ अवस्था का नाम नन्दलाल जी था । आपका जन्म चावली (आगरा) में वि.सं. 1942 में भाद्रपद शुक्ला दशमी (सुगन्ध दशमी) को हुआ। पिता श्री वैद्य तोताराम जी माता श्री मेवारानी थीं। आपके परिवार में छह भाई हुए। आप धर्मरत्न पं. लालाराम जी शास्त्री के लघु भ्राता तथा न्यायालंकार पं. मक्खनलाल शास्त्री के ज्येष्ठ भ्राता थे। आप पद्मावती पोरवाल जाति के भूषण व तिलक गोत्रज थे । शिक्षा- आपकी आरम्भिक शिक्षा अपने गांव में ही हुई। इसके बाद आपने दिगम्बर जैन महाविद्यालय, मथुरा और सेठ हीराचन्द्र कमलचन्द्र जैन बोर्डिंग हाउस, बम्बई में रहकर शास्त्री (सिद्धान्त, न्याय, व्याकरण साहित्य) का अध्ययन किया और जैन महासभा तथा बम्बई परीक्षालय से परीक्षा देकर शास्त्री उपाधि प्राप्त की। आप आरम्भ से ही उदार, सरल, सभ्य, शिक्षित, धर्म रुचि के थे 1 सामाजिक-धार्मिक कार्य- आपने अपने अमित अध्ययन, अनुभव, अभ्यास, अध्यवसाय से हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, मराठी, गुजराती भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। आप श्रेष्ठ वक्ता और सुयोग्य लेखक तथा टीकाकार एवं सम्पादक थे। सामाजिक-धार्मिक विषयों पर आपने सुरुचिपूर्ण लघु पुस्तकें भी लिखीं। आप कवि थे। आपकी कतिपय पूजायें आज भी समाज में अतीव चाव से पढ़ी जाती हैं। आपने ईडर और बम्बई रहकर पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 89
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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