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________________ * आप में गुरुश्रद्धा भी अनुकरणीय एवं प्रेरणा प्रद थी। जिस समय 108 आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज का चातुमार्स टूण्डला में होने जा रहा था, उस कार्य की जिम्मेवारी लेने के लिए जब कोई आगे नहीं आया, तो श्री श्योंप्रसाद जी ने ही इस कार्य को सम्भाला था। किन्तु काल की गति निराली है। आचार्य श्री के मंगल आवगमन से पांच दिन पूर्व ही श्री श्योंप्रसाद का एक सप्ताह की बीमारी के पश्चात् स्वर्गवास हो गया। आपके आकस्मिक निधन से समाज का एक बहुमूल्य रत्न विलुप्त हो गया। आपके पुत्र सर्वश्री जयन्ती प्रसादजी, स्व. श्री जिनेन्द्र प्रसादजी, जितेन्द्र प्रसादजी, जसवन्त प्रसादजी और श्री जसवीर प्रसाद जी ने परिवार की प्रतिष्ठा को बनाये रखा। सभी सामाजिक व धार्मिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। परिवार में सुख शांति व समृद्धि है। आपके पौत्र श्री मनोज कुमार जैन पुत्र श्री जयन्ती प्रसाद जी वर्तमान में टूण्डला की पद्मावतीपुरवाल पंचायत के अध्यक्ष हैं। स्व. श्री वासुदेवप्रसाद जैन टूण्डला आप स्व. श्री लाला भाऊमल जैन नौसेरा (मैनपुरी) के वंशधरों में से थे। आपके पिता श्री लाला शिखरप्रसाद जैन समाज के जाने-माने सज्जन थे। आप अपने भ्राताओं श्री भगवानस्वरूप जैन भू.पू. चेयरमैन टाउन ऐरिया कमेटी, श्री श्रीराम जैन और श्री सुनहरीलाल में सब से ज्येष्ठ थे। आपका सार्वजनिक जीवन अत्यन्त सम्मानित और आदर्श रहा है। आप अनेक वर्षों तक विद्या संवर्धिनी समिति टूण्डला के प्रधान रहे। इस संस्था के अन्तर्गत धर्मशाला, पुस्तकालय एवं पाठशालाएं स्थापित हुईं। आपकी सतत् लगन एवं श्रम के कारण पाठशाला ठा. बीरीसिंह हाईस्कूल के रूप में तथा कन्या पाठशाला राजकीय कन्या विद्यालय के रूप में परिणत हो गई। इन दोनों ही संस्थाओं का शिक्षा-क्षेत्र में प्रशंसनीय योग पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 308
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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