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________________ आप और आपका संगठन पद्मावतीपुरवाल जाति की महत्वपूर्ण इकाई है। अतः आपका व्यक्तिगत, संस्थागत और सामूहिक सहयोग और मार्गदर्शन अपेक्षित है। प्रगतिशील पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन संगठन वर्तमान कार्यकारिणी श्री रमेशचन्द जैन कागजी, (अध्यक्ष), श्री पदमचन्द जैन (चैयरमेन सं. समिति), श्री सुरेन्द्र बाबू जैन, (उपाध्यक्ष), श्री प्रताप जैन, महामंत्री, श्री सतीश जैन (गुड्डू भाई) मंत्री, श्री स्वराज जैन, (कोषाध्यक्ष), श्री अनिल कुमार जैन (लेखा निरीक्षक), श्री ए.पी. जैन, सदस्य, श्री . आनन्द कुमार जैन, सदस्य, श्री एस. कान्त जैन, सदस्य, श्री संजीव जैन, सदस्य। - पोशाक एक साधु ने गांधी जी से कहा-'महात्माजी मैं आपके आश्रम में रह कर जीवन बिताना चाहता हूं। मेरे जीवन का उपयोग राष्ट्र हित में हो तो मेरा अहोभाग्य होगा।' गांधीजी ने कहा-'आपको गेरुए वस्त्रों का त्याग करना होगा।' साधु ने कहा-'महात्माजी ऐसा कैसे हो सकता है। मैं तो संन्यासी हूं।' गांधीजी बोले-'आप अपने संन्यास को नहीं छोड़ें। गेरुए वस्त्र देखकर हमारे देशवासी पूजा अर्चना शुरू कर देते हैं। इन वस्त्रों के कारण लोग आपसे सेवा लेना स्वीकार नहीं करेंगे। जो सतु सेवा के काम में बाधा डाले उसे छोड़ देना चाहिए। फिर संन्यास तो मानसिक वस्तु है। पोशाक के छोड़ने से संन्यास नहीं छूटता।' साधु ने गेरुए वस्त्र तत्काल त्याग दिए और आश्रम में रहने लगा। 265 पद्मावतीपुरवाल विगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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