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________________ श्री वृन्दावनदास जी के दूसरे पुत्र श्री महावीर प्रसाद जी ने अपने पुश्तैनी कार्य को आगे बढ़ाते हुए राशन की दुकान कस्ली। काफी समय तक वे पंचायत के कोषाध्यक्ष रहे। उनके इकलौते पुत्र श्री आशू जैन कुंचा महाजनी में चांदी का व्यवसाय करते हैं। 2001 में श्री महावीर प्रसाद जी का स्वर्गवास हो गया। श्री आशु जैन सामाजिक गतिविधियों की ओर सक्रिय हो रहे हैं। श्री वृन्दावनदास जी के तृतीय पुत्र श्री विमल किशोर जी पिताजी द्वारा स्थापित दुकान पर रहे। अपनी मेहनत और मिलनसारिता से काम को आगे बढ़ाया साथ ही अपने तीनों पुत्रों को कपड़े के व्यापार की ओर प्रेरित किया। कपड़े व्यापार में आज उनकी अच्छी साख है। श्री विमलकिशोर जी अनेक धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। पंचायत के कार्यों में उनका योगदान निरंतर बना रहता है। उनके पुत्र श्री एस. कान्त जैन, पद्मावती पुरवाल पंचायत की पिछली कार्यकारिणी में सदस्य भी रहे हैं। पूरा परिवार धार्मिक और खुशहाल है। स्व. पंडित बनवारी लाल जैन स्याद्वादी एटा जिले में मरथरा जनपद के श्री सेवती लाल जैन 'सिरमोर' परिवार के पुत्र श्री बनवारीलाल जी विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। गांव मरथरा से शिक्षा के लिए मुरैना गये। 1918-19 में वहां से दिल्ली आकर उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से इंगलिश में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करते ही दिल्ली से प्रकाशित होने वाले पत्र 'जैन गजट' में मैनेजर के पद पर कार्य करना शुरू कर दिया। धर्म और जाति के प्रति उन्हें बड़ा लगाव था। धर्मपुरा की भूत वाली गली में वे रहते थे। उनकी योग्यता से प्रभावित होकर कूचा सेठ के जैन कामर्शियल स्कूल में अध्यापक के पद पर उनकी नियुक्ति तत्कालीन प्रबंध समिति ने की। वहां उन्होंने लगभग 20 वर्ष अध्यापन का कार्य किया। पञ्चावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 223
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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