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________________ आजीविका अर्जन दिगम्बर जैन इण्टर कालेज, आगरा में गणिताध्यापक के रूप में शुरू हुआ। उ.प्र. शासन के शिक्षा विभाग में भी गणिताध्यापक रहे। यू.पी.एस.सी. दिल्ली द्वारा चुने जाने पर दिल्ली प्रशासक के शिक्षा विभाग में प्राचार्य पद से अवकाश ग्रहण कर अब रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहे हैं। प.पू. दि. जैन पंचायत धर्मपुरा दिल्ली-6 ने आपकी उपलब्धियों पर अवार्ड योजना के अंतर्गत सम्मान किया है। पं. श्रीनिवासजी शास्त्री आपका जन्म चिरहोली (आगरा) ग्राम में हुआ था। बड़े सरल एवं मिष्टभाषी विद्वान थे। कलकत्ता में रहते थे तथा बंगाल बिहार, उड़ीसा दि. जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी का कार्य देखते थे। बड़े मंदिरजी में शास्त्र प्रवचन भी करते थे। आपने अनेक पंचकल्याणक प्रतिष्ठाओं में तर्कतीर्थ पं. झम्मनलाल जी के साथ योगदान किया। इस क्षेत्र में वही उनके गुरु थे। और तर्कतीर्थ जी प्रतिष्ठा विधि में जितने प्रामाणिक थे उसका कोई जवाब नहीं। पं. श्रीनिवास जी ने अनेक वेदी एवं मंदिर प्रतिष्ठायें कराई। खंडगिरि सिद्ध क्षेत्र पर श्री पार्श्वनाथ मंदिर की प्रतिष्ठा के वे ही आचार्य थे। मितभाषी, प्रसन्नचित्त एवं परदुःख कातर सज्जन थे। स्व. श्री सुनहरीलाल जैन, आगरा आपका जन्म आगरा जनपद के ग्राम लतीफपुर में श्रावण शुक्ला 10 शुक्रवार संवत् 1972 (15 अगस्त, 1915 ई.) को सम्पन्न जमींदार परिवार में हुआ। आपके पिता का नाम श्री दौलतराम जैन तथा माता का नाम श्रीमती सेवती बाई जैन था। सन् 1935 में आपकी माता श्रीमती सेवती बाई का निधन हो गया। सन् 1936 में हिम्मतपुर निवासी सेठ बाबूलाल जैन की पुत्री छुट्टो देवी के साथ आपका विवाह हुआ। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा ग्राम हिरनगऊ के विद्यालय में हुई। परन्तु पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास ___134
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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