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________________ आफ्ने पाण्डेय संगठन कमेटी का गठन कर पौडेय महानुभावों की उचित शिक्षा दीक्षा का भी प्रबन्ध किया। अखिल भारतवर्षीय जीवदया प्रचारिणी सभा में वर्षों सेवा कार्य किया। जगह-जगह जाकर हिंसा बंद कराई। पैड़त, जखैया आदि स्थानों पर बलि देना बन्द कराया जो अबतक बन्द है। राजनीति के क्षेत्र में आपका अपना स्थान रहा। ग्राम पंचायत के प्रधान पद को आप 12 वर्ष तक सुशोभित करते रहे। प्राइमरी पाठशालाएं, धर्मशालाएं, कुआं आदि का निर्माण कराके ग्राम की बहुमुखी उन्नति की। पशुपालन, वृक्षारोपण तथा ग्राम की सीमाओं में शिकार पर प्रतिबन्ध लगाने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करके समाज में ही नहीं जैन जैनेतर समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त की। आप अपनी तहसील के आदर्श प्रधानों में माने जाते थे। ब्रिटिश काल में भी आप 38 गांवों की अत्याचार निरोधक समिति के प्रधान मंत्री थे। उस समय आपने अत्याचारों के विरोध में जनता में एक नवीन भावना का संचार किया था। अपनी उपस्थिति में झगड़ा होने पर न्यायालय में नहीं जाने देते थे। दोनों पक्षों के विचार मालूम कर दोनों को ही समझा-बुझाकर आपस में प्रेम कराके झगड़ों का निपटारा करा देते थे। __ आप जनप्रिय, लोकप्रिय रहे। राजकीय योगों से कितने ही वृद्ध, वृद्धाओं की पेंशन बंधवा दी तथा स्वयं भी अपने पैसे से मदद करते रहते थे। दीन-दुःखी लोग कोई न कोई सहायता के लिए आते रहते थे। प्रतिष्ठाचार्य पं. कन्हैयालाल नारेजी आपका नाम पंडित कन्हैयालाल है परन्तु आप अपने गोत्र 'नारे' के नाम से जाने जाते हैं। आपके पिता श्री हुकमचन्द चौधरी पद्मावती पुरवाल हैं। आपने अपने जीवन में मुख्य रूप से महाराष्ट्र प्रांत में पंचकल्याणक प्रतिष्ठाएं करायी एवं वेदी प्रतिष्ठाएं करवाकर जैन धर्म की प्रभावना की। पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 89
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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