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________________ , स्व. पं. अजितकीर्यजी शास्त्री, बी.ए. आपक जन्म टेहू (आगरा) में हुआ। मंत्र शास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे। लाल वस्त्र पहनकर घंटों मंत्र जाप करते थे। कुशल वैद्य भी थे। टेहू में आपने एक संस्कृत विद्यालय एवं हाईस्कूल की स्थापना की थी। आपके बड़े भाई जयचन्द जी शास्त्री भी अच्छे विद्वान थे तथा इन्दौर में सरस्वती भवन में जिनवाणी की सेवा करते थे। श्री अनूपचंद जैन एडवोकेट इतिहासकारों ने चंदवार को फिरोजाबाद का उद्गम स्थल माना है जो जैन धर्म का प्रमुख स्थान हैं आपके पूर्वज यहां के मूल निवासी थे जो चंदवार के पतन के बाद फिरोजाबाद नगर के मोहल्ला कटरा पठानान में आकर बसे। फिरोजाबाद में लोक-संगीत, नाटक, लोकगीत, रचयिता नाटककार रंगमंच के कुशल नायक, श्री भागचन्द जैन इस परिवार के प्रमुख थे। इन्हीं भागचन्द जी के सुयोग्य पुत्र हैं श्री अनूपचन्द्र जैन। आपका जन्म 20 अगस्त 1942 को हुआ। शिक्षा-आपने हाई स्कूल की परीक्षा सन् 1958 में उत्तीर्ण की। इण्टर तथा बी.ए. की परीक्षा पास करके आर्थिक संकट के कारण कुछ समय तक क्लर्क का भी कार्य किया। परन्तु अध्ययन की अभिलाषा से आगस कालिज आगरा में डबल कोर्स लेकर एम.ए. एलएल.बी. की उपाधि प्राप्त की। जीवन के संघर्षों ने आपको स्वावलम्बी तथा मिलनसार बनाया। वकालत के क्षेत्र में एक वकील के लिए जिस श्रम, साहस और अध्ययन की आवश्यकता होती है उसके प्रति आप सदैव जागरूक रहे। उनमें सिविल, क्रिमिनल, भाड़ा-नियन्त्रण कानून आदि के मुकदमों का पद्यावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 83
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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