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________________ 14. रत्नत्रयी, 15. बधर्मोपदेशमाला, 16. भविष्यदत्त चरित, 17. करकुंड चरित, 18. आत्मसम्बोध काव्य, 19. उपदेश रत्नमाला, 20. जिमंधर चरित, 21. पुण्याश्रव कथा, 22. सम्यक्तगुणविधानकाव्य, 23. सम्मग्गुणारोहण काव्य, 24. बेडशकारण जयमाला, 25, बारहभावना (हिन्दी) 26. सम्बोध पंचाशिका, 27. धन्यकुमार चरित, 28. सिद्धान्तधर्मसार, 29. वृहत सिद्धचक्र पूजा (संस्कृत) 30. सम्यक्त्व भावना, 31. जसहर चरिउ, 32. जीवंधर चरिउ, 33. कोमुइकहापबन्धु, 34. सुक्कोसल चरिउ, 35. सुदंसण चरिउ, 36. सिद्धचक्क माहप्प, 37. अणयमिउ कहा। ___ कवि को रचना करने की प्रेरणा सरस्वती से प्राप्त हुई थी। कहा जाता है कि एक दिन कवि चिन्तित अवस्था में रात्रि में सोया। स्वप्न में सरस्वती ने दर्शन दिया और काव्य रचने की प्रेरणा दी। महाकवि रइधू पुरस्कार फिरोजाबाद के 'श्री श्यामसुन्दरलाल शास्त्री श्रुत प्रभावक न्यास' द्वारा महाकवि के नाम पर उपर्युक्त पुरस्कार की स्थापना की गई है। प्रतिवर्ष महावीर जयन्ती के अवसर पर जैन जगत के एक विद्वान को 21000/की धनराशि, श्रीफल तथा प्रशस्तिपत्र भेंट कर सम्मानित किया जाता है। सोलहवीं शताब्दी के कवि बुध विजयसिंह कवि के पिता का नाम सेठ पिल्हवा और माता का नाम राजमती था। कवि का वंश पद्मावती पुरवाल था और यह मेरूपुर के निवासी थे। कवि ने अपने गुरु का नाम उल्लेख नहीं किया है। कवि की एकमात्र कृति 'अजितपुराण' उपलब्ध है जिसका रचनाकाल वि.सं. 1505 कार्तिक पूर्णिमा है। इससे कवि का समय 1485 से 1525 तक समझना चाहिए। कवि ने इस ग्रन्थ की रचना महाभव्य कामराज के पुत्र देवपाल की 79 पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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