SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महामन्त्र णमोकार और ध्वनि विज्ञान / 83 ध्वनि जब मानसिक रूप से उच्चरित होती है तो एक सर्वव्यापि स्फोट पैदा होता है; कर्णातीत तरगे पैदा होती हैं। इन कर्णातीत तरंगों में सबसे अधिक शक्ति है। ध्वनि जब भावना से मिलकर बनती है तो उसमे एक मैग्नेटिक करेण्ट (चुम्बक लहर) उत्पन्न होता है। युद्ध के मैदान में एक कायर भी अपने सेनापति के वीर रस भरे शब्दों को सुनकर प्राणार्पण के लिए तैयार हो जाता है, प्रेमी के शब्द प्रेमिका को प्रभावित करते हैं । तो यह स्थूल बेखरी वाणी जब इतना प्रभाव डाल सकती है तो परावाणी तो सहज ही लोकोत्तर प्रभाव उत्पन्न कर सकती है। स्थलता से सूक्ष्मता का महत्त्व अधिक-बहुत अधिक इसलिए है, क्योकि सूक्ष्मता मे शक्ति का सार, सघनता और प्रभावकता एकीकृत एवं केन्द्रित होती है ।
SR No.010134
Book TitleNavkar Mahamantra Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain, Kusum Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year1993
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy