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________________ 72 / महामन्त्र णमोकार . एक वैज्ञानिक अन्वेषण Preservative power, Destructive power) कहा जाता है। इन तीन शक्तियों के कारण ही जगत का क्रम चल रहा है। योग-शास्त्र के अनुसार मनुष्य के शरीर मे इडा नाडी सोमरस को या चन्द्र की ऊर्जा को वहन कर रही है। पिंगला नाडी सूर्य का तेज धारण कर रही है और सुषुम्ना अग्नि की ऊष्मा का सचारण कर रही है। मन्त्रों में तीनों प्रकार के वर्णो का विन्यास होता है अत मन्त्रों में भी वे शक्तियां रहती हैं। योग शास्त्र के अनुसार व्यंजन वर्ण शिव रूप है, उनमे स्वयं गति नही है । स्वरो से जुडकर ही वे गति प्राप्त करते हैं। अत: व्यजनो को योनि कहा गया है और स्वरो को विस्तारक। ध्वनि जब आहत नाद के रूप मे मुह से बाहर निकलती है तो शब्द एव वर्ण कहलाती है । वर्ण का एक अर्थ प्रकाश भी होता है। ध्वनि को प्रकाश में बदला जा सकता है। विभिन्न प्रकम्पनों, आवत्तियो (Frequencies) मे प्रकम्पित होने वाला प्रकाश ही रग है। प्रकाश, रग, और ध्वनि मूलतः एक ही है। एक ही ऊर्जा के दो आयाम हैं। दोनो अविभाज्य है। ध्वनि आहत नाद अनहत नाद (शब्द ब्रह्म) शब्द-वर्ण-आकृति प्रकाश रग स्पष्ट है कि प्रत्येक आहत ध्वनि आकृति मे बदलती है और आकृति का अर्थ है अभिव्यक्ति । अभिव्यक्ति का अर्थ हैं रग और प्रकाश का होना । अभिव्यक्ति आकार और रंग की ही होगी और रग व्यक्त होगा प्रकाश के कारण। ध्वनि, वर्ण और रग और प्रकाश का घनिष्ठ सम्बन्ध मन्त्र के अध्ययन मनन मे गहरी भूमिका निभाता है। रग का जगत हमारे मानसिक और आन्तरिक जगत को वहत प्रभावित करता है । रूस की एक अन्धी महिला हाथो से रगो को छूकर
SR No.010134
Book TitleNavkar Mahamantra Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain, Kusum Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year1993
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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