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________________ महामन्त गमोकार और निविय 63 लैटिन-लिंगुआ ग्रीकलेइबेन जर्मन-पूप्राखे अरबी-लिस्मान जिह्वा को पांच भागों में बांटा जा सकता है1. मूल, 2. पश्य, 3 मध्य, 4. उग्र, 5 नोक वर्गीकरण-ध्वनियों का प्रमुख वर्गीकरण स्वर और व्यंजनों के आधार पर किया जाता है। यह वर्गीकरण सामान्यतया सुविदित है और विस्तत भेद-प्रभेद यहां अपेक्षित भी नहीं है; फिर इस निबन्ध की सीमा भी है हो। भौतिक शाखापरक ध्वनि विज्ञान (Acoustic Phonetics) भौतिक (Physics) मे ध्वनि की इस शाखा को ध्वनि विज्ञान कहते है। इसके अन्तर्गत प्रमुख रूप से यह अध्ययन किया जाता है कि वक्ताद्वारा उच्चरित ध्वनियों को किन तरगों या लहरों के द्वारा श्रोता' के कान तक लाया जाता है। वक्ता से श्रोता तक की ध्वनि प्रक्रिया इस प्रकार होती है-वक्ता के फेफड़ों से चली हवा ध्वनि-अवयवों की सहायता से आन्दोलित होकर बाहर निकलती है और बाहर की वायू मे एक कम्पन्न-सा पैदा करके लहरें पैदा कर देती है। ये लहरे ही सुनने वाले के कान तक पहुचती है और उसकी श्रवणेन्द्रिय मे, कम्पन पैदा कर देती है। बस सुनने वाला सुन लेता है। सामान्यत इन ध्वनि तरगों की चाल 1100-1200 फीट प्रति सेकण्ड होती है। इस अध्ययन मे विविध ध्वनि-यन्त्रो से सहायता ली जाती है। यन्त्रो के माध्यम से सुर, अनुतान, दीर्घता, अनुन्नरसिकता घोषत्व आदि का वैज्ञानिक अध्ययन होता है। इस शाखा को प्रायोगिक ध्वनि विज्ञान (Experlmental Phonetics) अथवा यात्रिक ध्वनि विज्ञान (Instrumental Phonetics) भी कहा गया है। प्रमुख ध्वनि यन्त्र हैं 1. मुख मापक (Mouth majer)-इसे एटकिन्स ने बनाया था। इसकी सहायता से किसो ध्वनि के उच्चारण के समय जीभ की ऊंचाई. निचाई या सिकुड़पन मापा जा सकता है।
SR No.010134
Book TitleNavkar Mahamantra Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain, Kusum Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year1993
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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